दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं,
हम परिंदे कहीं जाते हुए मर जाते हैं !
ये मुहब्बत की कहानी नहीं मरती ताबिश,
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं !
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस,
जो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं !!
(अब्बास ताबिश)
लोकतंत्र पर हावी हो रहे भीडतंत्र को लेकर हम सब चिंतित हैं, भीड के ज़हन में नफ़रतें कई सालों में भरी गयी हैं, इतनी आसानी से नहीं जायेंगी !
लेकिन हम सबने भी कमर कस ली है, हम सब लोकतांत्रिक लोग इस लडाई को पूरी तरह गॉंधी के तरीक़े से लडेंगे !
हम भीड की अराजकता के ख़िलाफ मुल्क को जगाने में कामयाब रहे हैं, ये हमारी पहली जीत है, लेकिन लडाई अभी समाप्त नहीं हुई !
“काली पट्टी” के बेहद असरदार सांकेतिक ऑंदोलन के बाद हम तमाम साथियों ने एक बेहद सलीक़े का गॉंधीवादी तरीक़ा सोचा है !
जिसकी घोषणा जल्द ही करेंगे ! वो हमारी गॉंधीगीरी पार्ट 2 होगी !
इंतज़ार करिये, अराजक भीड के ख़िलाफ़ हमारे दूसरे ऑंदोलन का