लश्कर के संदिग्ध आरोपों से बरी ठोस सबूत पेश करने में दिल्ली पुलिस विफल

नई दिल्ली: लश्कर के एक संदिग्ध जिस पर हिन्द.पाक सीमा से देश में आतंकवादी घुसपैठ का आरोप है, एक अदालत ने यह कहते हुए बरी कर दिया। उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाया जाता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुतवत्तिन इरफान अहमद को एक बड़ी राहत प्रदान कर दी जिस पर लश्कर के कथित बम निर्माता अब्दुल करीम तविंडा के करीबी सहयोगी होने का आरोप लगाया था।

अदालत ने यह बताया जबकि दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मात्र हथियार गोलह बारूद के एक अन्य मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खुलासे के आधार पर इरफान अहमद के खिलाफ चार्जशीट पेश किया है कि कातोन की दृष्टि में स्वीकार्य नहीं हो सकते, जबकि अभियोजन पक्ष भी ठोस सबूत (मीटरईल) प्रदान करने में असमर्थ रहा। जिसकी वजह आरोपी इरफान अहमद को बरी कर दिया गया।

51 वर्षीय इरफान विभिन्न विध्वंसक मामलों में आरोपी था। 1999 में दिल्ली की अदालत ने एक मामले में उसे दोषी करार दिया गया था और इरफान को पिछले साल पैतृक स्थान से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वह नेपाल की जेल से फरार होकर पहुंचा था जिस पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर और फंड्स प्रदाताओं में सहायता करने का आरोप लगाया गया था।

दिल्ली पुलिस ने यह भी दावा किया था कि सीमा पार से आतंकवादियों को भारत में प्रवेश करने में अगुवाई की थी जबकि 6 दिसंबर 1993 को दिल्ली हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस में बम रखा था और इस मामले में पैरोल पर रिहाई के बाद नेपाल फरार हो गया था।