राजधानी दिल्ली में आज लाखों किसान जुटेंगे. किसान कर्जमाफी, कृषि उत्पाद लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मांगों को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे. इसमें लगभग 200 किसान संगठनों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. गुरुवार और शुक्रवार दो दिनों तक प्रदर्शन चलेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल यह चौथी बार है जब किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने वाले हैं.दिल्ली पहुंचने का किसानों का सिलसिला शुरू हो गया है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 29 और 30 नवंबर को आहूत संसद मार्च को वाम दलों सहित 21 राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है. समिति के संयोजक हन्नान मोल्लाह ने बुधवार को बताया कि गुरुवार को रामलीला मैदान में एकत्र होने के लिए किसानों के समूह दिल्ली पहुंचने लगे हैं.
उन्होंने बताया कि मेघालय, जम्मू कश्मीर, गुजरात और केरल सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसानों के समूह सड़क और रेल मार्ग से दिल्ली और आसपास के इलाकों में एकत्र होने लगे हैं. मोल्लाह ने इसे अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन होने का दावा करते हुए कहा कि गुरुवार को रामलीला मैदान में किसान सभा के आयोजन के बाद शुक्रवार को किसानों का हुजूम रामलीला मैदान से संसद मार्च करेगा. इससे पहले गुरुवार को सुबह दिल्ली के प्रवेश मार्गों से रामलीला मैदान तक किसान मार्च के लिये बिजवासन, मजनूं का टीला, निजामुद्दीन, आनंद विहार पर सभी किसान एकत्र होंगे.
अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव अतुल कुमार अंजान ने बताया कि शुक्रवार को संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में आंदोलन का समर्थन कर रहे विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शिरकत करेंगे. इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के भी शामिल होने की संभावना है. अंजान ने बताया कि शुक्रवार को दो सत्रों में आयोजित किसान सभा के पहले सत्र में किसान नेता आंदोलन के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे. इसके बाद दूसरे सत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता किसानों को संबोधित करेंगे.
वहीं दिल्ली पुलिस क कहना है कि जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या 1,000 के पार पहुंच जाती है तो उन्हें रामलीला मैदान जाना पड़ेगा, जहां 50,000 लोग एकत्र हो सकते हैं. पुलिस ने कहा कि वे प्रदर्शनकारियों को रामलीला मैदान में रोकेंगे, क्योंकि प्रदर्शनकारियों की संख्या 30,000 होने का अनुमान है. आदेश के अनुसार जंतर मंतर पर सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच ही प्रदर्शन किये जा सकेंगे. इससे पहले जंतर मंतर विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन करने वाले समूहों का एक केन्द्र था. दिशा-निर्देश प्रदर्शनकारियों को ‘एक निश्चित अवधि के लिए’ भी तंबू लगाने या अस्थायी ढांचा खड़ा करने से रोकते हैं.
पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) से विशेष अनुमति के बिना जंतर मंतर पर रैली या धरना स्थल पर किसी लाउडस्पीकर या जनता को संबोधित करने की प्रणाली का इस्तेमाल नहीं होगा. आदेश में प्रदर्शनस्थलों पर लाठियों, पटाखों, भालों, तलवारों या अन्य हथियारों को लाने पर प्रतिबंध है. साथ ही पुतले या दस्तावेजों को जलाने, खाना पकाने, कचरा फैलाने पर प्रतिबंध है. 23 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने जंतर मंतर और बोट क्लब जैसी जगहों पर रैलियों, धरना या प्रदर्शन पर लगा पूर्ण प्रतिबंध हटा दिया था और कहा था कि ऐसी जगहों में विरोध प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.