नई दिल्ली, 04 मार्च: यूपी में प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में डीएसपी जिया उल हक को हफ्ते की रात दबंगों ने लाठियों से पीटा, जीप से खींचकर जमीन पर घसीटा, फिर गोली मार दी। उन्हें पैरों में दो गोली मारी गई और फिर एक सीने में।
एतवार के दिन चार डाक्टरों के पैनल ने हक का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दो गोलियां पैर व एक गोली सीने में पाई गई। जिस्म के कई हिस्सों में चोट भी लगीं थीं। चोट से जाहिर था कि हक को लाठियों से पीटने के बाद गोली मारी गई।
लखनऊ के बाबू बनारसी दास मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर रहीं परवीन आजाद की मेंहदी एक साल में ही धूल गई। 21 जनवरी 2012 को जियाउल हक के साथ उनका निकाह हुआ था। अभी वे मुस्तकबिल की ताने-बाने ही बुन रहीं थीं कि दबंगों ने उनका सुहाग उजाड़ दिया।
सीओ ने अपनी बीवी परवीन आजाद को अपने आने की इत्तेलाभी दे रखी थी। वे शौहर के आने का इंतेजार कर रही थी लेकिन उनके मौत की खबर आ गई।
जियाउल के वालिद शमशुल हक (60 साल) और वालदा पिछले काफी अर्से से बीमार चल रहे हैं। जवान बेटे की मौत से दोनों बदहवाश हैं। लोग जब उनसे मिलने पहुंचे तो उनका दर्द फूट पड़ा।
जियाउल के चचेरे भाई शाहआलम ने बताया कि चचा (जियाउल के वालिद) सिर्फ यही कह रहे हैं कि उनका बेटा तो वर्दी के लिए शहीद हो गया लेकिन अगर साथी भी फर्ज निभाते तो शायद वह आज जिंदा होता।
उन्होंने कहा, ‘साथ में गए साथी उसे छोड़कर भाग न निकलते और वहां मोर्चा संभालते तो शायद यह नौबत न आती। वह चार घंटा इस तरह अकेले न पड़ा रहता। उनका बेटा तो ऐसा न था। पता नहीं उसके साथ गए लोग छोड़कर क्यों भाग गए। उसने तो किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं था जो लोगों ने उसे इस तरह मार डाला। समझ में नहीं आ रहा।
——–बशुक्रिया: अमर उजाला