वॉशिंगटन, २३ नवंबर: अल कायदा सरबराह ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद आखिरी रसूमात के बारे में अमेरिकी फौज के सीनियर अफसर के बीच ई-मेल के तहत कई राज़ से पर्दा हटा है। ओसामा की लाश समंदर में बहाए जाने के वक्त अमेरिकी बहरिया फौज बेड़े यूएसएस कार्ल विंसन का कोई भी आफीसर मौजूद नहीं था। ई-मेल के मुताबिक ओसामा का आखिरी रसूमात इस्लामी रीति-रिवाजों के तहत किया गया था।
न्यूज एजेंसी एपी ने मालूमात के हकूक का इस्तेमाल करते हुए अमेरिकी महकमा दिफा से जो डॉक्युमेंट्स हासिल किए हैं उन्हीं के तहत ये बातें सामने आईं। ज्यादातर ई-मेल के अहम हिस्सों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके बावजूद लादेन की मौत और उसके आखिरी रसूमात के बारे में अमेरिकी हुकूमत की तरफ से पहली बार कोई सरकारी इत्तेला आवामी की गई है।
दी गई इत्तेला के मुताबिक, लादेन की लाश को नहलाने के बाद एक सफेद चादर में लपेटा गया। उसके बाद उसे एक भारी बैग में रखा गया। सेना के एक आफीसर ने मज़हबी पाठ किया जिसका एक मुकामी शहरी ने अरबी में तर्जुमा किया। इसके बाद ओसामा की लाश को एक ताबूत में रखकर समंदर में बहा दिया गया।
एडमिरल चार्ल्स ने ई मेल जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मलेन और यूएस सेंट्रल कमांड के सीनियर आफीसर जनरल जेम्स मैटिस को भेजा था। ऑपरेशन के बाद ओसामा की नाश / लाश को लेकर लौट रहे हेलिकॉप्टर के बारे में ये अफसर आपस में खुफिया कोड में बात करते थे। एडमिरल चार्ल्स ने एक दूसरे आफीसर रियर एडमिरल सैमुएल पेरेज से ई-मेल के जरिए सवाल पूछा,’हमारे लिए आ रहे पैकेज के बारे में कोई खबर’? रियर एडमिरल पेरेज ने इसका जवाब देते हुए लिखा, ‘दोनों ट्रक महफूज़ हैं और अपने अड्डे की तरफ बढ़ रहे हैं।’
खबर एजेंसी एपी के मुताबिक, ओबामा इंतेजामिया अमेरिकी तारीख में सबसे शफ्फाफ हुकूमत होने का दावा करता है लेकिन ओसामा के मारे जाने से जुड़े डॉक्युमेंट्स को आवामी ( सार्वजनिक) नहीं करना चाहता है। एपी ने इसी साल मार्च में सूचना के अधिकार के जरिए लादेन के खिलाफ ऑपरेशन के वक़्त की तस्वीरें और विडियो की मांग की थी लेकिन महकमा दिफा ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई तस्वीर या विडियो नहीं है। वज़ारत दिफा ने ओसामा के डेथ सर्टीफिकेट , उसकी डीएनए जांच रिपोर्ट या ऑपरेशन की तैयारी से जुड़े किसी भी दस्तावेज को देने से इंकार कर दिया।
एपी ने वज़ारत दिफा के फैसले के मुखालिफत में अपील करने का फैसला किया है। ओसामा बिन लादेन के खिलाफ फौजी मुहिम चलाने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को खास तौर पर कानूनी हक दिए गए थे जिनमें ये भी शामिल था कि इस मुहिम से जुड़ी इत्तेलात कभी भी आवामी (सार्वजनिक) नहीं की जाएगी।
एपी ने इस बारे में सीआईए से सूचना मांगी तो उसने कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया।