चारा घोटाले में सीबीआई की खुसूसी अदालत लालू प्रसाद यादव समेत 45 मुल्ज़िमो पर अपना फैसला 30 सितंबर को सुनाएगी। मंगल के दिन प्रवास कुमार सिंह की अदालत में लालू प्रसाद के वकील सुरेंद्र सिंह ने दलील पेश की। इसके बाद 90 के दहाई ( Decade) में चाईबासा ट्रेजरी से 37.7 करोड़ रुपए का गबन करने के मामले में अदालत ने फैसले को महफूज़ रख लिया।
इससे पहले लालू प्रसाद के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पूरा मामला गैर कानूनी है क्योंकि इस वक्त के गवर्नर ने बिना कैबिनेट की मंजूरी के उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का हुक्म दिए थे।
हालांकि सीबीआई ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि गवर्नर को कैबिनेट से मंज़ूरी लेने की जरूरत नहीं होती है। खुसूसी अदालत अभी तक चारा घोटाले से मुताल्लिक 53 में से 44 मामलों में फैसला सुना चुकी है।
आरजेडी चीफ के वकील ने अदालत के सामने यह दावा किया कि लालू प्रसाद को 1996 तक इस घोटाले के बारे में कोई इत्तेला नहीं थी।
उन्होंने अदालत से कहा कि बिहार के साबिक वज़ीर ए आला ही वह शख्स थे, जिन्होंने एफआईआर दर्ज करने के हुक्म दिए थे और उस साल 21 जनवरी को फाइनेंस कमिश्नर वीएस दुबे की इब्तेदायी (शुरुआती) जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही खातियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।
——-बशुक्रिया: अमर उजाला