झारखंड हाई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू यादव की जमानत दरख्वास्त को खारिज कर दिया,कल अदालत ने अपना फैसला महफूज रखा था। अदालत के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि इस बार लालू की दीपावली और छठ जेल में ही बितेगी। फैसले के बाद राजद के हामियों ने अदालत आहते के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि बाहर इस तरह के हंगामा करने पर रोक है, लेकिन राजद हामी ऐसा कर रहे हैं।
कोर्ट ने लालू प्रसाद की जमानत से मुतल्लिक़ मामले में फैसला सुनाने के लिए 31 अक्तूबर की तारीख तय की थी। सुनवाई के दौरान सीबीआइ की तरफ से हक़ रखा गया। कहा गया कि मिस्टर प्रसाद को पशुपालन महकमा में हो रही इंखिला की जानकारी साल १९९० से थी। इस बात की जानकारी साल 1993 में हुई थी। बताया गया कि मौजूदा काबीना वज़ीर सिंह फरजी बाउचर पर की गयी इंखिला की सीबीआइ जांच की सिफ़ारिश की थी।
सीबीआइ की तरफ से इनकार करने पर निगरानी जांच की गयी। यह भी कहा गया कि मिस्टर प्रसाद ने शरीक मुल्ज़िम श्याम बिहारी सिन्हा और आरके दास को गलत तरीके से सर्विस तौसीअ दिया। साथ ही कवानीन की अनदेखी कर दयानंद कश्यप को 20 नुकाती प्रोग्राम का सदर बनाया। सीबीआइ की तरफ से अदालत में तहरीरी जवाब भी दायर किया गया। इसका मुखालिफ लालू प्रसाद के वकील सुरेंद्र सिंह ने किया। कहा गया कि मौजूदा काबीना वज़ीर रामजीवन सिंह ने जिस मामले की जांच निगरानी से करायी थी, वह मेसो स्कीम से जुड़ा था। इसका पशुपालन महकमा से कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में मुजरिम अफसरों को सजा भी हो चुकी है।