चारा घोटाले में पांच साल की जेल और जुर्माने की सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की दरखास्त हाई कोर्ट में खारिज हो गई है। इसी के साथ ही चारा घोटाले में पांच साल की जेल काट रहे लालू की दिवाली से पहले जेल से निकलने की उम्मीद भी खत्म हो गई। कल हाई कोर्ट ने दोनों फरीको की दलीलें सुनने के बाद फैसला महफूज़ रखा था।
जस्टिस आरआर प्रसाद की बेंच के सामने हुई बहस में सीबीआइ के वकील मुख्तार खान ने बताया कि लालू प्रसाद को Animal husbandry department से हो रहे गैरकानूनी इंखला (Illegal withdrawals) की मालूमात 1990 से ही थी। Illegal withdrawals के ताल्लुक में 1993 में बिहार में एक बैठक भी हुई थी।
जिसमें इसे रोकने पर बहस भी हुई थी। उस वक्त के कैबिनेट मिनिस्टर रामजीवन सिंह ने 26 हजार रुपये Illegal withdrawals की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी। बाद में इस मामले की निगरानी जांच हुई थी और खातियों को सजा भी दी गयी थी । लालू की ओर से बताया गया कि इसका ताल्लुक कहीं से भी चारा घोटाले से नहीं है। यह फर्जी बिल के जरिये Illegal withdrawals का अलग मामला था।
सीबीआइ की ओर से यह भी बताया गया कि Animal husbandry department के इंतेज़ामी आफीसर आरके दास ने भी अपने बयान में कहा है कि एसबी सिन्हा से पांच लाख रुपये लेकर लालू यादव को निकलते हुए देखा था। बाद में दास को सीबीआइ ने सरकारी गवाह बना लिया।
गौरतलब है कि बाद में एसबी सिन्हा और आरके दास को Services Extension लालू प्रसाद ने दिया था।