लालू ने पीएम को लिखा ख़त, कहा मर्क़ज़ नहीं चेता तो रेलवे हो जाएगा दिवाला

पटना : राजद सदर लालू प्रसाद ने रेलवे में मायूसी व हताशा का माहौल होने का इलज़ाम लगाते हुए वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी को ख़त लिखा है। उन्होंने कहा कि रेलवे दिवाली से दिवाला की तरफ बढ़ रहा है। एमटीएनएल और एयर इंडिया की तरह अगर रेलवे को भी ऐसा ही हाल पर छोड़ दिया जाता है तो आज़ाद भारत की तारीख में यह सबसे बड़ी बर्बादी होगी।
उन्होंने अपने रेल वजारत (साल 2007-08 में रेलवे का आॅपरेटिंग कैश मुनाफा 6 अरब अमेरिकी डालर एवं आॅपरेटिंग रेशियो 76 फिसद) को दिवाली की संज्ञा दी। वहीं मौजूदा मुद्दत (2016-17 में आॅपरेटिंग कैश लॉस 5 अरब डॉलर एवं आॅपरेटिंग रेशियो 120 फीसद) को दिवाला बताया।

फेसबुक पर कहा कि रेलवे जर्सी गाय की तरह है। इसका दोहन कर इसे फि‍र से सोने की चिड़िया बनाया जा सकता है। मोदी सरकार ने इस दुधारू गोमाता को न तो ठीक से दुहा है और न ही प्यार-मोहब्बत से इसकी देखभाल ही की है। यही वजह है कि यह बीमार हो गई है। रेलवे के तारीख में पहली बार बजट इमकान के मुकाबले इसकी आमदनी इमकान से 11 फिसद यानी 17 हजार करोड़ रुपए कम रहने की इमकान है। मुसाफिर और माल ढोने में 3 फिसद की माइनस इजाफा दर्ज की जा रही है।
बुलेट ट्रेन जैसी गैर फायदे वाली और घाटे की मंसूबा के लिए कर्ज लेना, अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने से ज्यादा कुछ नहीं है। रेल मुलाजिम में डर है कि उनकी नौकरी बचेगी या नहीं। उन्हें तनख्वाह और पेंशन मिलेगा या नहीं। इससे रेल मुलाजिम का मनोबल मायूसी की कगार पर पहुंच गया है। अगर रेलवे की धड़कन एक दिन के लिए भी रुकती है तो एक तरह से भारत की धड़कन ही रुक जाएगी। तब न तो पावर प्लांट को कोयला मिलेगा और न ही राशन दूसरे रियासत में पहुंचेगा।

लालू प्रसाद ने लिखा कि टि्वटर की बजाय ट्रेनों के चलाने यानी कोर परफॉर्मेंस पर तवज्जो दें। टीवी स्टूडियो या सेमिनारों में शेखी बघारने की बजाय माल ढोने पर हर मिनट खबर रखने वाले कंट्रोल रूम (एफओआइएस) और कारोबार बढ़ाकर मुनाफा कमाने का फायदेमंद मंसूबों में इन्वेस्ट करने की पालिसी बनाने की बैठकों में हिस्सा लें। रेलवे के कारोबारी और सामाजिक मकसदों के दरमियान फायदेमंद एडजस्टमेंट टैक्स की किरदार निभाएं। ऐसा होने पर पूरा याकीन है कि रेलवे फि‍र माली बोहरान से जीत के तौर पर बाहर निकल जाएगा।