चारा घोटाले के कांड नंबर आरसी 20 ए / 96 में बिहार के साबिक़ वज़ीरे आला लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र समेत तमाम 45 मुल्जिमान को सीबीआइ के खुसूसी जज ने पीर को मुजरिम करार दे दिया। अदालत ने आठ मुलजिमों को तीन-तीन साल की सजा सुनायी है। जिन्हें सजा सुनायी गयी, उनमें साबिक़ वज़ीर विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत और आइएएस अफसर के अरुमुगम के अलावा पांच सप्लायर शामिल हैं।
इन पर 50 हजार से पांच लाख रुपये तक का मुतलिब जुर्माना भी लगाया गया है। खुसूसी जज पीके सिंह ने लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और एमपी जगदीश शर्मा समेत 37 मुलजिमों को तीन अक्तूबर को सजा सुनाने की तारीख मुकर्रर की है। अदालत के फैसले के बाद पुलिस ने लालू समेत तमाम को हिरासत में ले लिया। कस्टडी वारंट बनने के बाद इन्हें होटवार वाक़ेय बिरसा मुंडा मर्कज़ी जेल भेज दिया।
अदालत ने कहा कि सजा के नुक्ता पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये से सुनवाई की कोशिश की जायेगी। जज ने लालू की उस अपील को बातिल कर दिया, जिसमें मंगल को ही सजा के नुक्तों पर सुनवाई की दरख्वास्त किया गया था। बिरसा मुंडा मर्कज़ी जेल में लालू प्रसाद कैदी नंबर 3312 के नाम से जाने जायेंगे। उन्हें यही नंबर दिया गया है। सजा सुनाये जाने के बाद उन्हें कैदी के कपड़े पहनने होंगे। लालू प्रसाद को अपर डिवीजन सेल के ए ब्लॉक के एक कमरे में रखा गया है। इसी सेल में झारखंड के साबिक़ वज़ीरे आला मधु कोड़ा को भी रखा गया था। कमरे के साथ अटैच बाथरूम है। इसमें एक टीवी भी लगी हुई है।
मामला सही पाया
अपने फैसले में खुसूसी जज ने कहा : सीबीआइ की तरफ से दायर इल्ज़ाम लेटर, उभय फरीकों के गवाहों के बयान, दलीलें और दस्तावेज की तफ़सीश के बाद साजिश रच कर चाईबासा खज़ाना से गैर कानूनी इंखेला का मामला सही पाया गया है। इसलिए अदालत जालसाजी, धोखाधड़ी वगैरह के मामले में मुलजिमों को आइपीसी की दफा 409,420,467,468,120 बी,477 ए और बदउनवनी एक्ट की दफा 13(2) शरीक पढ़ा गया दफा 13(1) (डी) के तहत मुजरिम करार देती है। सजा के नुक़तों पर सुनवाई के बाद मुजरिमों को सजा सुनायी जायेगी। मुजरिम करार दिये गये 45 में से 10 मुलजिमों को पहली बार सजा सुनायी जायेगी। दीगर 35 मुल्जिमान को इससे पहले चारा घोटाले में दूसरे मामलों में सजा सुनायी जा चुकी है।