लालू बोले- ‘मैंने बोया नीतीश को, गरम पानी नहीं डालने का मलाल’

राजद सरबराह लालू प्रसाद ने कह कि नीतीश रूपी पौधे को उन्होंने ही लगाया है। अगर जानता कि यह पौधा बबूल निकल जाएगा, तो गरम पानी डाल देते। वह पाकिस्तानी रिफ्यूजी आडवाणी की गोद में खेल रहे हैं। बिहार की इक्तिदार निज़ाम को उन्होंने चौपट कर दिया है। इक्तिदार रौब से चलता है, पर नीतीश कुमार अफसरों के आगे झुक गए। नीतीश का सारा ऑनलाइन अब ऑफलाइन हो गया है। बिहार की आवाम अब मेनलाइन में रहेगी। महात्मा गांधी और गोडसे की स्ट्रीम में मुल्क की सियासत बंट गई है। फैसला मुल्क के बाशिंदों को सोच-समझ कर करना होगा। वह गया पार्लियामानी हल्के के बेलागंज में इंतेखाबी सभा को खिताब कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि 1990 में जब हमने बिहार की कमान संभाली, तो विरासत में मुझे फसाद, अक्लियतों व दलितों पर मुजालिम और भाजपा की तरफ से मंडल कमीशन का मुखालिफत मिला था। हमने गरीबों को उनका हक-हकूक और मान-सम्मान दिलाया।

रामविलास पासवान पर चुटकी लेते हुए कहा – ‘एगो छउड़ी बुलकी चूड़ा-दही देख घरे-घरे हुलकी’। सभा को गया से पार्टी उम्मीदवार रामजी मांझी और जहानाबाद के उम्मीदवार डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव ने भी खिताब किया। प्रोग्राम के दौरान लोजपा अक्लियत सेल के ज़्यादातर ओहदेदारों ने राजद की रुक़्नियत तस्लीम की।

इक्तिदार की ताक में रहते हैं नीतीश

नवादा के पकरीबरावां हाईस्कूल में लालू प्रसाद ने कहा कि मुल्क में 1947 जैसे हालात पैदा किए जा रहे हैं। यह आम इंतिख़ाब नहीं है। ऐसे में बिहार के बाशिंदों को तय करना है कि भारत टूटेगा या रहेगा। कहा कि हमें कुर्सी की फिक्र नहीं है। जेपी की मूर्ति के सामने हमने तय किया कि फसाद नहीं होने देंगे। इसलिए, भाजपा के रथ को रोका। आडवाणी और सिंघल को गिरफ्तार कर झारखंड में छोड़ दिया।