लाल मस्जिद पर फ़ौजी कार्रवाई , तहकीकात के लिए कमीशन तशकील

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इंतेहापसंद मुसलमानों के ज़ेर ए कंट्रोल लाल मस्जिद पर 2007 के दौरान की गई फ़ौजी कार्रवाई की अदालती तहकीकात के लिए एक कमीशन क़ायम किया है । इस इक़दाम से सुप्रीम कोर्ट और ताक़तवर फ़ौज के दरमियान रसा कुशी में मज़ीद शिद्दत पैदा हो जाएगी ।

वाज़िह रहे कि 2007 के दौरान लाल मस्जिद में रुपोश इंतेहापसंदों को बाहर निकालने के लिए बड़े पैमाने पर फ़ौजी कार्रवाई की गई थी । सुप्रीम कोर्ट ने वफ़ाक़ी शरई अदालत के एक सीनियर जज शहज़ादा शेख को कमीशन का सरबराह मुक़र्रर किया है और हिदायत की है कि अंदरून 45 दिन तहकीकात मुकम्मल करते हुए रिपोर्ट पेश की जाए ।

जुलाई 2007 के दौरान लाल मस्जिद पर की गई फ़ौजी कार्रवाई से मुताल्लिक़ एक मुक़द्दमा की समाअत के दौरान चीफ जस्टिस इफ़्तेख़ार मुहम्मद चौधरी के ज़ेर-ए-क़ियादत बंच ने ये हुक्म जारी किया ।

अदालती कमीशन को हिदायत की गई है कि इस बात का पता चलाए जाए कि किस सूरत-ए-हाल के सबब ये कार्रवाई की गई और इस कार्रवाई के दौरान कितने आम शहरी , ख़वातीन और क़ानून नाफ़िज़ करने वाले इदारों के मुलाज़मीन हलाक हुए थे ।

इलावा अज़ीं इस बात का भी पता चलाया जाए कि फ़ौजी कार्रवाई के दौरान हलाक होने वाले अफ़राद की कितनी नाशों की शनाख़्त की गई थी और कितने महलोकेन ( मरने वालो) के ख़ानदानों को मुआवज़ा अदा किया गया था । एडीशनल इन्सपेक्टर जनरल पुलिस ताहिर आलम ने फ़ौजी कार्रवाई के बारे में एक रिपोर्ट पेश की थी लेकिन चीफ जस्टिस ने इस तास्सुर का इज़हार किया कि सिक्योरिटी इदारा इस बात को साबित नहीं कर सके कि सिक्योरिटी फोर्सेस के हाथों हलाक होने वाले अफ़राद इंतेहापसंद थे ।