लिव-इन रिलेशन में रह रही खातून को गुजारा भत्ता मांगने का हक

अगर कोई खातून लिव इन रिलेशन में रहती है तो उसको गुजारा भत्ता मांगने का पूरा हक है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगल के रोज़ एक अहम फैसला सुनाते हुए मुतास्सिरा को राहत दी।

खातून की तरफ से दायर यह केस तकरीबन 20 साल तक कई अदालतों में चला और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने खातून के हक में यह फैसला दिया। जिस शख्स को गुजारा भत्ता देना होगा, वह फिल्म इंडस्ट्री से जुडा है।

खातून और यह शख्स 1986 से 1995 तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे और इसी दौरान साल 1988 में दोनों की एक बेटी भी हुई। मुंबई का रहने वाला यह शख्स न सिर्फ पहले से शादीशुदा था, बल्कि चार बच्चों का बाप भी है।

इस शख्स ने अदालत के सामने दलील दी कि सिर्फ कानूनी तौर से की गई शादी में खातून को गुजारा भत्ता लेने का हक मिलता है। लेकिन जस्टिस विक्रमजीत सेन ने इस दलील को खारिज करते हुए इस शख्स को फटकार लगाते हुए कहा कि आप बेवकूफी वाली बातें कर रहे हैं।

जज ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा। इस फैसले में इस शख्स को गुजारा भत्ता देने का हुक्म दिया था।

खातून की बेटी 27 साल की हो चुकी है और फिलहाल इंजीनियरिंग की तालीम हासिल कर रही है। कोर्ट ने इस शख्स की तरफ से दिए गए दलील पर उसे कडी फटकार लगाई कि जब उसकी इस खातून से मुलाकात हुई तब वह एक कॉल गर्ल थी।

अदालत ने कहा कि आप कोर्ट से तो हमदर्दी की उम्मीद रखते हैं, लेकिन खुद एक गरीब खातून को कॉल गर्ल बताते हैं।