लीडरो की तहक़ीक़ात के लिए इजाजत की ज़रूरी नहीं

रांची : घूसखोरी को लेकर सुर्खियों में रहे झारखंड में बदउनवान पर नकेल के लिए हुकूमत ने निगरानी ब्यूरो को मजबूत करने का फैसला किया है। निगरानी ब्यूरो का नाम अब बदउनवान एंटी ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो) होगा। एसीबी किसी भी लोकसेवक को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ़्तार कर सकता है।
लोकसेवकों और अवामी नुमाइंदों के ख़िलाफ़ बदउनवान की शिकायतों की जांच के लिए इजाजत लेने की ज़रूरत नहीं होगी। इससे पहले, निगरानी ब्यूरो को तहक़ीक़ात और तसदीक़ के लिए काबीना और समन्वय महकमा से इजाजत हासिल करनी होती थी।
दाखला सेक्रेटरी एनएन पांडेय ने बताया कि मंगल को रियासती वज़ीर काउंसिल की इजलास में हुकूमत ने निगरानी ब्यूरो के बदले बदउनवान एंटी ब्यूरो की तशकील और वर्किंग सिस्टम से मुतल्लिक़ दस्तूरुल अमल को मंजूरी दी है। इसके अलावा ट्रैप केस के मामले में एफ़आईआर दर्ज करने के लिए हुकूमत से इजाजत लेना भी ज़रूरी नहीं होगा। निगरानी के सुप्रीटेंडेंट डाइरेक्टर मुरारी लाल मीणा ने कहा कि बदउनवान एंटी ब्यूरो का काम ज़्यादा असरदार होगा।
सेक्रेटरी के मुताबिक बदउनवान एंटी ब्यूरो, अगर तसदीक़ के बाद मामला सही पाता है तो लोकसेवकों के सतह की बुनियाद पर मुकदमा दर्ज करने के लिए हुकूमत से इजाजत हासिल करेगा।
अवामी नुमाइंदों के लिए चीफ़ सेक्रेटरी के जरिये से वजीरे आला, आईएएस, आईपीएस के मामले में चीफ़ सेक्रेटरी के साथ वजीरे आला और दूसरे जमरे के अफसरों के मामले में निगरानी कमिश्नर मुकदमे की इजाजत देंगे।

सरकार ने एसीबी को असरदार बनाने के लिए रांची, पलामू, दुमका, कोल्हान, धनबाद , हजारीबाग में एक- एक थाना कायम करने का फैसला लिया है। इसके इंचार्ज डीएसपी सतह के अफसर होंगे।
इसके साथ ही ब्यूरो में काम करने के लिए ओहदे की तदाद 350 से बढ़ाकर 608 किए जाएंगे।