लीबिया में फिर हालात खराब, अस्थिरता की क्या है सच्चाई?

उत्तरी अफ्रीका में स्थित लीबिया ज्यादातर मरुस्थली इलाके से घिरा तेल सम्पन्न देश है। आज इसे जनरल मुआम्मार गद्दाफी के 42 साल के शासन और उसके बाद की अस्थिरता के लिए ज्यादा जाना जाता है। 1951 में आजादी हासिल करने से पहले ज्यादातर समय लीबिया पर विदेशी शासन रहा।

इसके बाद जल्द ही तेल की खोज ने इस देश को बड़ी सम्पन्नता दी। हाल ही में देश में बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ जिसमें भारी संख्या में लोगों ने यूरोप में शरण ली। इसके साथ ही देश में इसल्मिक आंतकवाद के उठने से भी दुनिया में चिंता हुई।

ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, हाल ही में लीबीया की राजधानी त्रिपोली पर कब्जे के लिए हवाई अड्डे पर हमला किया गया है। सशस्त्र विद्रोही बलों के ताक़तवर नेता जनरल हफ़्तार ने अपनी ‘लीबीयन नेशनल आर्मी’ को त्रिपोली की ओर मार्च करने का आदेश दिया जो अब त्रिपोली के करीब पहुंच गई हैं।

उनकी सेना का अन्य गुटों से संघर्ष जारी है। वहीं पूर्वी शहर मिसराता से अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के समर्थक सशस्त्र गुटों ने भी त्रिपोली की रक्षा के लिए वहां पहुंच गई हैं। इससे त्रिपोली में ही सैन्य संघर्ष तेज होने की संभावना बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र की कोशिश है कि लीबिया में बिना सैन्य संघर्ष के कोई हल निकल सके।