लीबिया में फ़ौजी तनख़्वाहों के तालिब

बिन ग़ाज़ी (लीबिया)06 नवंबर (पी टी आई) लीबिया की मुसल्लह अफ़्वाज जिन्हों ने मुल्क में क़ज़ाफ़ी के दौर-ए-हकूमत के ख़ातमे के लिए अहम रोल अदा किया, वो अब यहां सड़कों पर गशत करते हुए तनख़्वाहों उजरतों मेहनताना का मुतालिबा कर रहे हैं।

इन का कहना है कि लीबिया में माह फरवरी से क़ज़ाफ़ी के ख़िलाफ़ इन्क़िलाब शुरू हुआ और तब से आज तक उन्हें उजरतें अदा नहीं की गईं।

उन्होंने ये भी इद्दिआ किया कि झड़पों में शदीद तौर पर ज़ख़मी होने वाले उन के दस साथीयों का शहर के मशहूर जावला हॉस्पिटल में इतमीनान बख़श ईलाज नहीं किया जा रहा है। एहतिजाज करने वाले एक फ़ौजी ने कहा कि कम से कम क़ज़ाफ़ी के दौर में हमें तनख़्वाह तो मिल जाती थी।

क्योंकि हम रज़ाकार हैं तो क्या हमें अपनी उजरतें तलब करने का कोई हक़ नहीं? हम ने 17 फरवरी से लेकर आज तक पैसे की शक्ल नहीं देखी।