लीबिया से इटली जाने की कोशिश करने वाले 54 अफ़्रीक़ी तारकीन-ए-वतन की प्यास की शिद्दत से शुमाली अफ़्रीक़ा के साहिल पर मौत हो गई। 15 दिन के इस सफ़र के दौरान उन लोगों की रबर की कश्ती धीरे धीरे ख़राब हो गई और सिर्फ एक शख़्स ही ज़िंदा बच सका। तारकीन-ए-वतन से मुताल्लिक़ यू एन ओ की एजैंसी (यू एन ऐच आर सी) ने इस सानिहा (घोर संकट)में ज़िंदा बच जाने वाले वाहिद शख़्स के हवाले से ये इत्तिला दी है।
एरीटीरयाई नज़ाद उस शख़्स को त्युनस के कोस्ट गार्ड ने पूरी तरह तबाह हो चुकी रबर की कश्ती से बचाया था। माही ग़ीरों की निगाह इस कश्ती पर पड़ी थी और उन्हों ने इस की इत्तिला कोस्ट गार्ड को दी। जिस शख़्स की बचाया गया वो डीहाईड्रेशन का बुरी तरह शिकार हो चुका था। इस शख़्स ने बताया कि इस ने दीगर 54 अफ़राद के साथ लीबिया से इटली के ले सफ़र का आग़ाज़ किया था।
इन में से आधे लोग इरीट्रिया के थे। इस ने बताया कि वो लोग इटली के साहिल के क़रीब पहूंच गए थे लेकिन तेज़ हवाओं की वजह से कश्ती वापिस आ गई और चंद दिनों तक समुंद्र में भटकने के बाद कश्ती से हवा निकलने लगी। कश्ती में मुनासिब मिक़दार में पानी नहीं था जिस की वजह से इस पर सवार अफ़राद डीहाईड्रेशन का शिकार हो गए।
कई लोगों ने समुंद्र का पानी भी पी लिया जिस से उन की प्यास की शिद्दत और बढ़ गई और बिल आख़िर उन्हों ने दम तोड़ दिया। ख़्याल रहे कि शुमाली अफ़्रीक़ा से यूरोप जाने की कोशिश में हर साल हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है । इस साल अब तक 170 अफ़राद हलाक हो चुके हैं।