लेबनान में पुरतशद्दुद मुज़ाहिरों के पसे पर्दा ईरान का हाथ?

हालिया अय्याम में लेबनान के सदर मुक़ाम बेरूत में हुकूमत के ख़िलाफ़ होने वाले एहतेजाजी मुज़ाहिरों में पेश आने वाले वाक़ियात ने तस्वीर का एक दूसरा रुख़ पेश किया है। मुज़ाहिरीन अंदाजो तेवर, लिबासे जिस्म पर टैटू, मख़सूस अलामतों और स्लोगन के इस्तेमाल से ये ज़ाहिर हो रहा है कि बेरूत में होने वाला एहतेजाज ईरान नवाज़ फ़िर्क़ा परस्तों की मुनज़्ज़म साज़िश थी जिसका मक़सद मुल्क में फ़िर्का वारीयत की आग को भड़काना है।

अल अर्बिया डॉट नेट ने बेरूत में सरकारी और निजी इमलाक की तोड़ फोड़, सिक्यूरिटी अहलकारों पर पैट्रोल बम हमलों में मुलव्विस अफ़राद और आग लगाने के वाक़ियात में मुलव्विस कुछ लोगों की तसावीर शाय की हैं।

लगता है कि ये लोग ईरान की आशीराबाद से लेबनान में फ़िर्कावारीयत की जंग छेड़ना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ पुरतशद्दुद मुज़ाहिरों के दौरान कई नौजवानों को अपने जिस्म पर हज़रत अली की शबिया, 313 की अलामत का टैटू और गले में हज़रत अली की जानिब मंसूब की जाने वाली “ज़ुलफ़क़ार” नामी तलवार की निशानी लटकाए देखा गया। बाअज़ ने अपने बाज़ों पर “या अली मदद” के अल्फ़ाज़ भी लिख रखे हैं। ये तमाम अलामतें, स्लोगन और टैटू शीया मज़हब के शरपसंदों को ज़ाहिर करते हैं.