लखनऊ: लोकायुक्त के तक़र्रुर पर गवर्नर उत्तरप्रदेश राम नाविक और रियासती हुकूमत के दरमियान रस्सा-कशी आज उस वक़्त नया मोड़ इख़तियार कर गई जब राज भवन ने पांचवें मर्तबा रिटायर्ड जस्टिस रविंद्रा सिंह के नाम की सिफ़ारिश से मुताल्लिक़ फाईल वापिस कर दी । सरकारी ज़राए ने बताया कि गवर्नर ने इस मसले पर अखिलेश यादव हुकूमत को जवाब देने के लिये गुज़िशता दो यौम से माहिरीन क़ानून से मुशावरत की और रियासती हुकूमत को आज सुबह ये फाईल वापिस कर दी।
पांचवी मर्तबा फाईल की वापसी के लिये वजूहात और इस्तिदलाल के बारे में फ़ील-फ़ौर मालूम नहीं हो सका। गुज़्शता मर्तबा फाईल वापिस करते हुए गवर्नर ने कहा था कि लोकायुक्त के लिये जिस नाम की सिफ़ारिश की गई है उसे सिलेक्शन कमेटी में मंज़ूरी के बगैर रवाना की गई है।
गवर्नर का ये नुक़्ता-ए-नज़र है कि लोकायुक्त के तक़र्रुर का मसला जल्द अज़ जल्द हल करलिया जाये जब कि हुकूमत की ये राय है कि चूँकि रियासती काबीना में जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम की मंज़ूरी देदी गई है। लिहाज़ा राज भवन को इसकी तौसीक़ कर देनी चाहिए । अपने ताज़ा जवाब में गवर्नर ने कहा कि लोकायुक्त के इंतेख़ाबात के लिये चीफ मिनिस्टर और अपोज़ीशन लीडर पर मुश्तमिल सिर्फ़ 2 रुकनी कमेटी तशकील दी गई है जिसने पहले ही अपना इजलास मुनाक़िद करलिया है।
हुकूमत का ये इस्तिदलाल है कि जहां तक चीफ जस्टिस इलाहाबाद हाईकोर्ट का रोल है सिलेक्शन कमेटी ने रस्मी तौर पर मुशावरत की गई है। हुकूमत ने अपने जवाब में कहा कि अगरचे कि चीफ मिनिस्टर से मुशावरत की गई है लेकिन हुकूमत उनके मश्वरा और राय की पाबंद नहीं है ताहम अपोज़ीशन लीडर और सिलेक्शन कमेटी के रुकन स्वामी प्रसाद मोर्य का ये इसरार है कि लोकायुक्त के इंतेख़ाब पर तमाम तीनों अरकान का इत्तेफ़ाक़ राय ज़रूरी है।