लोक पाल मसला उस वक़्त काफ़ी ज़ोर पकड़ा चुका है । टीम अन्ना इस पर शोरशराबा बरक़रार रखते हुए मुंबई में अपनी भूक हड़ताल को जारी रखे हुए हैं । जारीया साल का इख़तताम और नए साल के आग़ाज़ के मौक़ा पर लोक पाल बिल पर ज़बरदस्त उलझन पैदा हो गई है । लोक पाल बिल पर साल के आग़ाज़ पर जेल भरो तहरीक भी शुरू होने का इमकान है ।
तहरीक में शामिल तमाम अफ़राद ने अपने आप को तमाम सहूलतों से बेनयाज़ होकर तहरीक में शिद्दत पैदा करने की तजवीज़ रखते हैं । अपने ही मुल़्क की जेलों में मुक़य्यद होने केलिए अपने आप को तैय्यार करलिया है । इस तरह के अज़ाइम से ये बात ज़ाहिर होती है कि ये अफ़राद इस मौक़ा को हाथ से जाने नहीं देंगे और अपनी शौहरत के झंडे बुलंद करेंगे ।
आख़िरकार नए साल के आग़ाज़ पर हमेशा की तरह इस्तिक़बाल करेंगे या फिर कोई नया हंगामा खड़ा कर दें गे । इस पर कुछ कहना क़बल अज़ वक़्त होगा । मुख़्तलिफ़ सयासी पार्टीयां अपनी इंतिख़ाबी सरगर्मीयों का अमलन आग़ाज़ कर दिया है किसी भी मसला पर एक दूसरे पर सबक़त ले जाने में लगे हुए हैं । ताहम आइन्दा सयासी हालात किस तरह रहेंगे ये आने वाला वक़्त ही बताएगा । दूसरी संजीदा बात ये है कि सयासी जंग छिड़ गई है ।
सयासी जमातें मुहासिबों का आग़ाज़ कर दिया है और मुस्तक़बिल में अपने नए हर्बों के साथ फिर एक मर्तबा सयासी जंग के मैदान में खड़े होजाएंगे । जिस के बाद नया मंज़र सामने आएगा । में गुज़शता कई मर्तबा मुसलसल टीम अना के बारे में लिखते आरही हूँ कि टीम अना को सयासी जमातों की ताईद है । सयासी जमातें उन्हें अपने ज़ाती मुफ़ाद केलिए इस्तिमाल कर रही हैं जो कि एक सयासी सूनामी साबित होसकता है और अवाम की तमाम तर तवज्जा बदल सकता है । रिश्वत सतानी का ख़ातमा नहीं बल्कि एक नई तबदीली की ज़रूरत है ।
बाअज़ नए लोग नई नशिस्तें सँभालने की तैय्यारी कररहे हैं जो कि मुख़्तलिफ़ रंगों पर मुश्तमिल रहेंगे । अगर टीम अना वाक़ई रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़ हैं तो उन्हें इंसिदाद रिश्वत सतानी के क़ानून में तरमीम लाने की ज़रूरत है । ताहम वो इस तहरीक के ज़रीया सयासी मंज़र को तबदील करने के ख़ाहां हैं ।
गुज़शता चंद यौम क़बल अक़ल्लीयतों को कोटा मुक़र्रर करने का मसला मैदान में आया था जिस पर हंगामा खड़ा किया गया । आख़िर ये बात समझ से बाहर है कि क्यों अक़ल्लीयतों को कोटा के नाम पर इस्तिमाल किया जा रहा है । लोक पाल मैं तहफ़्फुज़ात फ़राहम करते हुए अक़ल्लीयती तबक़ा को मुलाज़मतों तालीम और वोकेशनल इदारों में कोटा मुक़र्रर करने का ऐलान किया गया ।
अगर वाक़ई हुकूमत लोक पाल के ज़रीया अक़ल्लीयतों को मुख़्तलिफ़ मैदानों में मवाक़े फ़राहम करने केलिए संजीदा है तो इस से पहले फ़िर्कावाराना भेद भाव् को ख़तम करना चाहीए जो कि रिश्वत सतानी से ज़्यादा ख़तरनाक है ।ताहम इस पर कोई भी तवज्जा नहीं दे रहा है । हर कोई अपने अपने अंदाज़ में सयासी मैदान में जंग जीतने पर तुला हुआ है । टीम अना फ़िर्कावाराना के ज़रीया क़तल-ओ-ग़ारतगरी पर कोई तवज्जा नहीं दे रही है जबकि इस में रोज़ बरोज़ इज़ाफ़ा ही होता जा रहा है ।
आइन्दा बरसों में होसकता है एक नया सयासी फ्रंट रौनुमा होगा और रिश्वत से पाक हुकूमत फ़राहम करेगा ये नामुमकिन नज़र आरहा है । इस के बरअक्स तहरीर स्क्वायर के मानिंद एक नए इन्क़िलाब को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता है लेकिन हिंदूस्तान उस वक़्त सर्द सर्दी की लपेट का शिकार हैं । ऐसे में किसी जंग की भी उम्मीद नहीं लगाई जा सकती । सियासत दां मौक़ा की नज़ाकत जानते हुए इस का भरपूर फ़ायदा उठा रहे हैं । मुल्क में अक़ल्लीयतों के वोट की एहमीयत को जानते हुए उनको तरग़ीबात दी जा रही हैं । में ये सवाल करना चाहती हूँ कि इस क्रिसमिस में कितने लोग उड़ीसा के मुतास्सिर अज़ला का दौरा किया है । ख़ंदा माल में ये चौथा क्रिसमस था । यहां के लोगों को रहने केलिए घर की सहूलत है और ना ही बुनियादी सहूलतें दस्तयाब हैं । ये लोग आख़िर क्रिसमिस किस तरह मनाए हैं इस का कोई ख़्याल रखा । राईट विंग की सयासी जमात के हमलों के बाद यहां के लोग बे यार-ओ-मददगार होगए हैं । अभी भी ये लोग इंसाफ़ के मुतक़ाज़ी हैं । ये साल तो अपनी महंगाई को लिए ख़तम होरहा है । लोगों की इतनी इस्तिताअत नहीं है कि वो किसी बड़े स्टोर में जाकर कुछ ख़रीदी कर सकें ।
आख़िर मलिक के लोग नए साल का किस तरह ख़ौरमक़दम करें और ये लोग कैसे ख़ुशीयां मना सकते हैं क्योंकि हर दिन महंगाई अवाम की कमर तोड़ रही है। अवाम कई एक मुसीबतों का शिकार होरहे हैं वो अपनी बुनियादी जरूरतों की तक तकमील नहीं कर पार है।
ये काफ़ी मुश्किल है कि नए साल का जश्न नए जोश-ओ-ख़ुरोश के साथ मनाएं । नए साल के मौक़ा पर मेरा ये मश्वरा हीका अवाम तनाव् का शिकार ना हो बल्कि अपने आप पर कंट्रोल करने की कोशिश करें । अच्छी सेहत की बरक़रारी के लिए गिज़ाओं के इस्तिमाल में एहतियात बरतें ।
अगर मुम्किन हो तो रोज़ाना हल्की वरज़िश को भी तर्जीह दें जिस से तनाव को कम किया जा सकता है । क्योंकि आज का दौर शोर शराबा का है । हर तरफ़ शोर-ओ-गुल मचा हुआ है जिस से सुकून-ओ-चैन हराम होगया है । ऐसे में अपने आप पर कंट्रोल को लाज़िमी कर ले । मुसीबत सोच पैदा करने वाले कुतुब का मुताला करें बाज़ार में बहुत सारे पब्लिशर्स ने कई अच्छे किताबों को मुतआरिफ़ किया है ।