लोक पाल बिल पर रिपोर्ट राज्य सभा में पेश

नई दिल्ली, २४ नवंबर (पीटीआई) लोक पाल बिल पर पारलीमानी सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट आज राज्य सभा में पेश कर दी गई, जिसके तहत लोक पाल क़ानून के नफ़ाज़ के बाद अंदरून एक साल तमाम रियास्तों में लोक आयुक्त का तक़र्रुर लाज़िमी हो जाएगा, लेकिन रियास्तों को अपनी सतह पर क़ानून बनाने की आज़ादी भी हासिल रहेगी।

सेलेक्ट कमेटी ने एक लोक पाल बिल का मुसव्वदा भी ऐवान में पेश किया, जिस में तरमीम की गई है इस कमेटी के सरबराह सत्य व्रत चतुर्वेदी ने कहा कि इस क़ानूनसाज़ी पर ऐवान-ए-बाला में बहस की जाएगी।

उन्होंने कहा कि हुकूमत को इस कमेटी की तरफ़ से तजवीज़ करदा तरमीमात पर ग़ौर करने की ज़रूरत नहीं होगी और कमेटी की तरफ़ से तरमीम करदा बिल पर बहस होगी। मिस्टर चतुर्वेदी ने कहा कि पार्लीमेंट की तरफ़ से मंज़ूरी के बाद ये क़ानून तमाम रियास्तों के लिए एक काबिल तक़लीद मिसाली क़ानूनसाज़ी होगी।

एक सवाल पर मिस्टर चतुर्वेदी ने जवाब दिया कि ये रियास्ती मुक़न्निना पर मुनहसिर होगी कि वो चीफ़ मिनिस्टर को भी लोक आयुक्त के दायराकार के तहत लाएंगे या ना लाएंगे। सेलेक्ट कमेटी के एक रुकन शांताराम नायक ने राज्य सभा में ये रिपोर्ट पेश की। उस वक़्त समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अरकान सरकारी मुलाज़मतों में दर्ज फ़हरिस्त तबक़ात से ताल्लुक़ रखने वालों को तरक़्क़ियों में भी तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के लिए बिल की पेशकशी के मुतालिबा पर शोर-ओ-गुल कर रहे थे।

इस मुतनाज़ा बिल को लोक सभा ने गुज़शता साल मंज़ूर कर लिया था लेकिन उस की मुख़्तलिफ़ दफ़आत पर राज्य सभा में शदीद मुख़ालिफ़तों के सबब मंज़ूरी की राह में रुकावटें हाइल हो रही हैं। सबसे अहम रुकावट तमाम रियास्तों में लोक आयुक्त के तक़र्रुर को लाज़िमी क़रार दिया जाना है क्योंकि बाअज़ ग़ैर कांग्रेस रियास्तों में इस क़ानून की मुख़ालिफ़त की जा रही है।

हुक्मराँ और अपोज़ीशन जमातों के अरकान के माबैन सख़्त इख़तेलाफ़ात के पेशे नज़र ये बिल ऐवान की सेलेक्ट कमेटी से रुजू कर दिया गया था, जिसे पार्लीमेंट के मानसून इजलास में ये रिपोर्ट पेश करना था, लेकिन 19 नवंबर को इसकी पेशकशी अमल में आई।