लोक पाल में वज़ीर-ए-आज़म की शमूलीयत पर पारलीमानी कमेटी का फ़ैसला बाक़ी

नई दिल्ली २९ नवंबर ( पी टी आई ) पार्लीमैंट की स्टैंडिंग कमेटी जो लोक पाल बल का जायज़ा ले रही है ।

अपनी मुसव्वदा रिपोर्ट में अदलिया और अरकान-ए-पार्लीमैंट के ऐवान के बाहर किरदार को लोक पाल के दायरे कार से बाहर रखने की सिफ़ारिश करती है। इस ने सी बी आई के इंसिदाद करप्शन शोबा को लोक पाल के दायरे कार में लाने के मुतालिबा को मुस्तर्द करदिया ।

कमेटी के अरकान ने मुत्तफ़िक़ा तौर पर सिफ़ारिश की कि लोक पाल को दस्तूरी मौक़िफ़ अता किया जाना चाहीए और लोक पाल और लोक आयवकत रियास्तों में इस क़ानून के तहत क़ायम किए जाने चाहीए ।

बल पर मुसव्वदा रिपोर्ट जिस को अरकान के दरमयान गशत करवाया गया जिस को 30नवंबर को क़तईयत दी जाएगी । लोक पाल के दायरे कार में कॉर्पोरेट्स ज़राए इबलाग़ और उन जी औज़ को शामिल करने की ताईद करती है । एन जी औज़ अब तक अवाम से अंदरून-ए-मलिक और ग़ैर मुल्की ज़राए से जो अतीया हासिल करते हैं उन्हें भी लोक पाल के दायरे कार में शामिल करने की हामी है । ताहम मुसव्वदा की दस्तावेज़ में वज़ीर-ए-आज़म को लोक पाल के दायरे में शामिल करने के बारे में कोई फ़ैसला नहीं किया है ।

इस मसला पर चहारशंबा के इजलास में ग़ौर किया जाएगा ।मुख़्तलिफ़ मुतबादिल बिशमोल वज़ीर-ए-आज़म की चंद तहफ़्फुज़ात और ओहदे से सुबकदोशी के बाद लोक पाल के दायरे में शमूलीयत जैसी तज्वीज़ें पेश की गई हैं ।

टीम अना के पूरी दफ़तरीत को लोक पाल में शामिल करने के मुतालिबा को मुसव्वदा रिपोर्ट में मुस्तर्द नहीं किया गया ।लेकिन सिर्फ ग्रुप B और ग्रुप A के ओहदेदारों की शमूलीयत की ताईद की गई है ।

जब कि ग्रुप Cऔर ग्रुप Dको इस से इस्तिस्ना दिया गया है । टीम अन्ना ने दस्तूर की दफ़ा 311की तंसीख़ का मुतालिबा किया था जो सरकारी मुलाज़मीन को बरतरफ़ी के ख़िलाफ़ तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करता है ।

मुसव्वदा रिपोर्ट मुहतात और क़रीबी जायज़ा लेने की सिफ़ारिश करती है ताकि बड़ी रुकावटों को दूर किया जा सके जो ख़ाती मुलाज़मीन की बरतरफ़ी केलिए महिकमा जाती कार्रवाई में हाइल होती है ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दफ़्तरी करप्शन दीगर कुरप्शन के बनिसबत नजरअंदाज़ किया जाता रहा है ।ज़राए इबलाग़ और समाज की तवज्जा हद से ज़्यादा सयासी कुरप्शन पर मर्कूज़ हैं । सियोल सरवेस के नज़रियात पर तवज्जा दी जाती है जो हिंदूस्तान में सामराजी दौर-ए-हकूमत की यादगार ही। ज़राए इबलाग़ एन जी औज़ और कॉर्पोरेट्स का हवाला देते हुए मुसव्वदा रिपोर्ट में कहा गया है कि अंदरून-ए-मलिक और ग़ैर मुल्की फंड्स अगर 10लाख रुपयॆ सालाना से ज़्यादा ऐसी तंज़ीमें हासिल करती हूँ चाहे उन पर हुकूमत का कंट्रोल हो या ना हो उन्हें लोक पाल के दायरे में शामिल किया जाएगा ।

इस से वाज़िह होजाता है कि कॉर्पोरेट्स ज़राए इबलाग़ और उन जी औज़ अगर मुक़र्ररा हद से ज़्यादा रक़ूमात हासिल करें तो उन्हें लोक पाल के दायरे कार में शामिल किया जाएगा । वज़ीर-ए-आज़म की शमूलीयत के हस्सास मसला पर रिपोर्ट ने इन वजूहात और सिफ़ारिशात का तज़किरा नहीं किया जो इस मौज़ू पर कमेटी ने की हैं ।

अरकान को एक मकतूब के ज़रीया इत्तिला दी गई है कि इस पर फ़ैसला 30नवंबर और यक्म दिसम्बर के कमेटी के इजलासों में किया जाएगा । रिपोर्ट में अदालत के मयारों और जवाबदेही बिल 2010-ए-की अदलिया के बारे में सिफ़ारिशात की याददेहानी करते हुए कहा गया है कि अदालत को इस्तिस्ना नहीं दिया जा सकता है और इद्दिआ किया गया है कि अदालती तक़र्रुत के तरीका-ए-कार को ताज़ा क़ानूनसाज़ी के ज़रीया तबदील किया जाएगा ।

अरकान-ए-पार्लीमैंट के ऐवान के अंदर किरदार को शामिल करने के मसला पर कमेटी ने मुतालिबा मुस्तर्द करते हुए कहा कि अरकान-ए-पार्लीमैंट को दस्तूर की दफ़ा 105के तहत तहफ़्फुज़ात हासिल हैं । कमेटी ने कहा कि इस बात की तहक़ीक़ात के दौरान कि क्या राय दही तक़रीर या किरदार जिस में किसी मख़सूस वाक़िया में अरकान-ए-पार्लीमैंट मुलव्वस हूँ बदउनवानी का अमल क़रार नहीं दिया जा सकता । लोक पाल के दस्तूरी मौक़िफ़ पर कमेटी ने कहा कि दस्तूर में तरमीम के ज़रीया ये मौक़िफ़ अता किया जा सकता है ।