लोक सभा का कीमती वक़्त फ़ुज़ूल रखना अंदाज़ियों की नज़र: सर्वे

नई दिल्ली, 02 मई: मुल्क की 15 वीं लोक सभा जिस के बारे में पहले ही ये रुजहान पाया जाता है कि ये मुल्क के लिए क़तई फ़ायदेमंद नहीं, इस के मसाइब में ऐसा मालूम होता है कि हुकूमत और अपोज़ीशन की खींचातानी की वजह से इज़ाफ़ा होने वाला है। लोक सभा में बजट सेशन की मुद्दत मुक़र्ररा वक़्त से पहले ही ख़त्म होजाने के इमकानात हैं क्योंकि सी बी आई की जानिब से कोलगेट रिपोर्ट पेश किए जाने पर एवान में रखना अंदाज़ियों का सिलसिला जारी रहेगा।

यही नहीं बल्कि 2G घोटाले पर जे पी सी के तात्तुल, स्पीकर और वज़ीर बराए पारलिमानी उमूर की जानिब से मुनाक़िद किए गए इजलास का बी जे पी की जानिब से बाईकॉट कुछ अहम मुआमलात हैं। प्रोग्राम के मुताबिक़ बजट सेशन का इख़तेताम 10 मई को है, लेकिन पारलिमानी रखना अंदाज़ी और एवान की कारकर्दगी जैसे मामले एक बार फिर ज़ेरे बेहस आए हैं।

जारिया सेशन की तरह पार्लियामेंट के साबिक़ सेशन में भी रुकावटें और रखना अंदाज़ियाँ पैदा की गई थीं। इस तरह लोक सभा में 58 काम के घंटे ज़ाए होए आवर ये बात लोक सभा के 12 वीं (सरमाई) सेशन के मुताल्लिक़ है। अवाम अपने मुंख़बा नुमाइंदों से मसाइल की यकसूई के ख़ाह होते हैं, लेकिन एम पी एवान में रखना अंदाज़ी, रुकावटों और वाक आउट के ज़रिये लोक सभा को कारकर्दगी अंजाम देने से महरूम करदेते हैं जबकि लोक सभा की कार्रवाई पर लाखों रुपये के अख़राजात होते हैं जो अवाम के ख़ून पसीने के ज़रिये कमाई गई रक़‌म को बतौर टैक्स हासिल करते हुए क़ौमी ख़ज़ाने में जमा की जाती है।

अगर अवाम के यही नुमाइंदे बेजा इसराफ़ के हामिल होकर क़ौमी खज़ाने पर बार बन गए तो अवाम का उन पर से भरोसा ही उठ जाएगा और ये मुम्किन नहीं होगा कि कोई नुमाइंदा एक बार पार्लियामेंट में पहुंचने के बाद दूसरी बार कामयाब हो सके।