लोक सभा में क़ज़्ज़ाक़ी बिल पेश

क़ज़्ज़ाक़ी मसला से निमटने अपनी संजीदगी का इज़हार करते हुए हुकूमत ने आज लोक सभा में बिल मुतआरिफ़ करवाया।बिल में क़ज़्ज़ाक़ी को एक जुर्म तस्लीम किया गया है। इससे निमटने के लिए सख़्त तरीन क़वानीन और उसूल-ओ-ज़वाबत मुरत्तिब किए गए हैं। हिंदूस्तानी हुक्काम की जानिब से गिरफ़्तार कर्दा क़ज़्ज़ाक़ों को सख़्त सज़ा-ए-देने के इलावा उम्र क़ैद की सज़ा-ए-भी तजवीज़ की गई है।

क़ज़्ज़ाक़ी बिल 2012 को तैयार किया गया है क्यों कि हिंदूस्तान के पास क़ज़्ज़ाक़ी से निमटने के लिए कोई अलहैदा दाख़िली क़ानून नहीं है। ताज़ीरात ए हिंद की दफ़ा 1860 या फ़ौजदारी तरीका-ए-कार कोड 1973 में इस जुर्म को शामिल किया गया है। ये बिल हिंदूस्तान के ख़ुसूसी मआशी ज़ोन के बिशमोल क़ज़्ज़ाक़ी के बढ़ते वाक़्यात के पस-ए-मंज़र में अमल में लाया गया है।

इस बिल को मुमलिकती वज़ीर ख़ारिजी उमूर ई अहमद ने पार्लीमैंट में पेश किया, जिस में क़ज़ाफ़ी की हरकत पर सख़्त सज़ा-ए-दी जाएगी।