जब मुसलमान मारे जा रहे हैं तो हम चुप हैं लेकिन याद रखें कल बारी आपकी है: कन्हैया कुमार

पंजाब: देश को ब्रिटिश हुकूमत के राज से आजाद करवाने के लिए किये गए संघर्ष की बात करें तो क्रांतिकारियों के नामों का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल और महात्मा गाँधी जैसे नामों के सामने आ जाने के बाद कई बार हम क्रांतिकारियों की दिल से रटी गई लिस्ट को पूरा हुआ मानते हैं। लेकिन आजादी की जंग में उस मुहीम को शुरू करने वाले लोगों में से बहुत से लोगों के नाम कहीं दब कर रह जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ देश की आज़ादी के लिए ‘ग़दर लहर’ शुरू करने वाले ‘गदरी बाबाओं’ का। आजादी से पहले पंजाब में छायी आर्थिक मंडी की वजह से वतन छोड़ अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों का रुख करने वाले पंजाब के पक्खर सिंह और बाबा ईशर सिंह ने 1912 में वहां पहुँच अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ किया जाने वाला बर्ताव देखा तो खुद के देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा देख बहुत दुखी हुए और अपने देश को भी आजादी दिलाने के लिए मुहीम छेड़ने की ठान ली। साल 1913 में ग़दर पार्टी का जन्म हुआ जिसने आगे चल कर ब्रिटिश राज की जड़ें हिला दीं। इन्हीं गाडरी बाबाओं की याद में मनाये जाने वाले मेले में हर साल देश की क्रांतिकारी आवाजों को शिरकत करने के बुलावा भेज जाता है। इस साल मनाये गए इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के पूर्व प्रेजिडेंट कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार के हल में आते ही माहौल लाल सलाम के नारों से गूँज उठा। जिसके बाद कन्हैया के स्टेज से समारोह में शामिल हुए लोगों को संबोधित करते हुए देश के मौजूदा हालात पर बात करते हुए और पीएम मोदी की कारुजगारी के लिए उन्हें आधे हाथों लिया। कन्हैया ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि इस साल दूसरी बार पंजाब की क्रांतिकारी धरती पर कदम रखने का मौका मिला है जिसके लोगों के योगदान के बिना आजादी की कल्पना करना भी मुमकिन नहीं है। समारोह में की गई एक प्रस्तुति की बात करते हुए कन्हैया ने कहा:

“…

शहीदों की याद में लगाए जाने वाले इस मेले का मकसद लोगों को यह याद दिलाने के लिए है कि मसला सिर्फ मेले का नहीं है, अब बातें करने से कुछ नहीं होगा देश को आगे बढ़ाने के लिए तलवार की धार पर चलना होगा और यह बात तो तब और भी जरूरी हो जाती है जब देश का प्रधानमंत्री भी सिर्फ बात ही करता हो ..”

कन्हैया ने कहा कि शहीदों ने जिस तरह के देश को बनाने का सपना देख शहादत दी थी क्या वो देश हम बना पाए हैं? क्या यह सवाल हम पाने आप से नहीं पूछेंगे कि उनके सपनों का देश बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए और किस तरह का काम अपने कंधे पर लेना पड़ेगा।

कन्हैया ने कहा

“… अगर हम भारत के बारे में बात करते हैं तो हमें देश में रहने वाले हर नागरिक की बात करते हैं लेकिन आजकल देश की अलग अलग परिभाषा दी जा रही है अलग-2 झंडे के लोग देश को अलग तरीके से परिभाषित करते फिर रहे हैं। इस देश के बारे में हम जब भी बात करते हैं तो हमें संविधान की बात करनी पड़ेगी और संविधान में कहीं भी देशवासियों का जिक्र होता है तो वहां संविधान में देशवासियों को ‘हम भारत के लोग’ कहकर संबोधित किया जाता है न कि हम हिन्दू लोग, मुसलमान लोग, सिख या ईसाई, बिहारी या पंजाबी लोग। कन्हैया ने कहा देश के लोग किसी भी भाषा, संस्कृति दिशा, जाति से जुड़े हों देश तो सभी को मिलकर ही बनता है और सरकार का काम है हक़ हर नागरिक को बराबर का हक़ दिलाया जाए। और अगर हक़ नहीं मिलता है उस हक़ को संघर्ष करके छीन लेना हमारा अधिकार है। देश में सबको बराबरी से जीने का हक़ है। …”

आरएसएस और कट्टर हिन्दू संगठनों के बारे में बोलते हुए कन्हैया ने कहा: “इस देश के कानून की नज़र में जो इस देश के संविधान को नहीं मानता वो देशविरोधी है और आज कुछ लोग और देश की सरकार उन लोगों को देश विरोधी बता रही है जो देश के उस आजादी के आंदोलन पर लिखे इस संविधान की बात करने वाले और देश को संविधान के मुताबिक आगे बढ़ाने की बात करने वाले लोगों को देशविरोधी करार दे रही है। आजादी, आंदोलन और हक़ों की बात करने वाले लोगों को वो लोग देशविरोधी करार दे रहे हैं जिन्होंने इस देश के संविधान को मानने से इनकार कर दिया और देश के अंदर तिरंगे झंडे को जलाया जिसको पाने के लिए भगत सिंह और गदरी बाबा जैसे लोगों ने अपनी शहादत दी।

कन्हैया ने कहा कि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करने वाले लोग देश को पीछे ले जाना चाहते हैं क्योंकि पहले हिन्दू धर्म में नीची जाति के लोगों को मंदिर जाने की, पढ़ाई करने की इजाजत नहीं थी। सवाल यह उठता है कि अगर देश हिन्दू राष्ट्र बनेगा तो देश में रह रहे दलितों का क्या होगा। आरएसएस सिर्फ लोगों में गैरबराबरी लेकर आना चाहती है।

सर्जिकल स्ट्राइक पर अपनी छाती थपथपाने वाले रक्षा मंत्री, मोदी और आरएसएस पर हमला बोलते हुए कन्हैया ने कहा कि मोदी साहब दो मिनट के लिए 9 लाख का सूट उतार एक फौजी की वर्दी पहन कर देखें तो गर्मी और सर्दी का फर्क समझ आएगा; आप 1925 से लाठी घुमा रहे हैं अपनी हाफ पेंट सम्भली नहीं तो उसको फूल करवाये हैं और आप देश सँभालने की बात करते हैं। देश के लोगों ने बीजेपी को मंदिर बनवाने के लिए नहीं काल धन वापिस लाने के नाम पर वोट दिया गया है। देश की आजादी की बात करने वाले कच्छाधारियों से मैं पूछना चाहते हूँ कि आपके संगठन से किसने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी है??

कन्हैया ने बीजेपी के ‘पाकिस्तान चले जाओ’ वाली बात को लोगों के बीच रखते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे बीजेपी वालों ने ट्रेवल एजेंसी खोल रखी है और इनका ताऊ वहीँ रहता है। इसके इलावा बीफ के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा क्या जनता ने इसी देश का सपना देखा था जिसमें एक इंसान को मांस के नाम पर मार दिया जाएगा? लोगों को उनकी जाति और मजहब के आधार पर शोषण किया जा रहा है ऐसे में चुप्पी साधने वाले लोग भी जुर्म करने वाले के बराबर ही दोषी है लोगों को तय करने की जरुरत है कि वो अत्याचारी का साथ देना चाहते हैं या अत्याचार सहन करने वाले का। कन्हैया ने कहा देश में ऑथराइजेशन का दौर है, आज देश में मुसलमान को मारा जा रहा है, लेकिन हम चुप हैं लेकिन याद रखिये चुप रहे तो अगली बारी आपकी ही है। इसलिए संगठित रहिये एक दुसरे के हक़ के लिए साथ खड़ा होना सीखिये।