साबिक़ सदरे पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि वो आइन्दा ना वज़ीरे आज़म बनेंगे और ना सदर। ओहदा सदारत के बाद वज़ारते उज़्मा के हुसूल की कोशिश नहीं करेंगे।
वज़ारते उज़्मा से ज़्यादा अहम पार्टी के मुआमलात चलाना है। उन्हों ने कहा कि उन्हों ने जेल के साढे़ ग्यारह साल कैद तन्हाई में सब्र करना सीखा। लाहौर अपने दोस्तों की मेज़बानी देखने नहीं बल्कि पीपुल्ज़ पार्टी को मुनज़्ज़म करने के लिए जा रहे हैं।
लोग अदलिया से सियासत करा रहे हैं। अपने एक इंटरव्यू में साबिक़ सदरे पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि वज़ारते उज़्मा से ज़्यादा अहम पार्टी के मुआमलात को चलाना है। जेल के साढे़ ग्यारह साल कैद तन्हाई में सब्र करना सीखा।
उन्हों ने कहा कि जेल की रातें बहुत कुछ दे कर गईं।