वक़्फ़ अराज़ी के मुताल्लिक़ अदालती फ़ैसले पर अमरीकी मुस्लमानों का रद्द-ए-अमल

हिंदूस्तानी नज़ाद अमरीकी मुस्लमानों ने अदालत के तारीख़ साज़ फ़ैसले की सताइश करते हुए कहा कि इस से मुस्लिम वक़्फ़ जायदादों के अरबों डॉलर्स गै़रक़ानूनी और ग़ैर अख़लाक़ी क़बज़ा करने वालों से मुस्लमानों को हासिल होंगे। क़बज़ा करने वाले सरकारी महिकमे हैं। कसीर क़ौमी कार्पोरेशंस माईक्रो साफ़्ट और वीपरो कंपनीयां भी क़बज़ा ग़ीरों में शामिल हैं।

नायब सदर नशीन न्यूयार्क शाख़ मुस्लिम पीस कोलीशन (मुस्लिम अमन इत्तिहाद) डाक्टर शेख़ उबीद और सैमी अहमद ने आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट के फ़ैसले की भरपूर सताइश की। डाक्टर और मिसिज़ अहमद दोनों हैदराबाद के मुतवत्तिन हैं और अमन तहरीक के क़ाइदीन में शामिल हैं। वो अमरीका में बैन उल मज़हबी सरगर्मीयों में भी शिरकत करते हैं।

उन्हों ने मुस्लिम ग्रुप के क़ाइदीन और हैदराबाद के उर्दू रोज़नामों की सताइश की कि उन्हों ने वक़्फ़ ज़मीनों का मसला उठाया है और मर्कज़ी-ओ-रियास्ती और कसीर क़ौमी कार्पोरेशंस के शदीद दबाउ का सामना करते हुए उन के आगे झुकने से इनकार करदिया है। डाक्टर उबीद ने कहा कि 18 करोड़ हिंदूस्तानी मुस्लमानों का एक बड़ा हिस्सा इंतिहाई ग़ुर्बत और नाख़्वान्दगी की ज़िंदगी गुज़ार रहा है, क्योंकि उन के ख़िलाफ़ मुनज़्ज़म तास्सुब और पुर तशद्दुद सरगर्मीयां जारी रखी जाती हैं।

वक़्फ़ जायदादों पर कई बार ग़ासिबाना क़बज़े हो चुके हैं जो बद उनवान मुस्लमानों के साथ गठजोड़ के ज़रीया किए जाते हैं और मुस्लिम फ़िर्क़ा को बेबस करने केलिए मुनज़्ज़म मुहिम चलाई जाती है। ऐसे क़बज़े इसी मुहिम का एक हिस्सा हैं। मुस्लिम बिरादरी ने हिंदूस्तान पर 800 साल हुकूमत की और बर्तानवी नौ आबादकारों ने सब से ज़्यादा उन्हें ही अपना हदफ़ बनाया।

हिन्दू बरतरी का फ़लसफ़ा हिंदूतवा और इस की तहरीक तमाम बड़ी क़ौमी सयासी पार्टीयों और मुंख़बा मराकिज़ इक़तिदार को मुतास्सिर कर चुकी है। वक़्फ़ जायदादें पूरे हिंदूस्तान में बर्तानवी क़ब्ज़ों के तहत हैं। इन का वापिस हासिल करना और अतीया दहिंदों के हक़ीक़ी मक़ासिद केलिए इन का इस्तिमाल एहमीयत रखता है,

जैसे कि तालीमी और सेहत के मराकिज़ क़ायम करने केलिए इस रक़म का इस्तिमाल किया जा सकता है। वक़्फ़ जायदादें हिंदूस्तानी मुस्लमानों बल्कि ख़ुद हिंदूस्तान की तरक़्क़ी में नुमायां किरदार अदा करसकती हैं।