वक़्फ़ बिल को काबीना से रुजू करने का इम्कान

नई दिल्ली, 20 फरवरी: (पी टी आई) मुल्क भर में वक़्फ़ जायदादों के इंतेज़ाम में मूसिर तब्दीलियां लाने के लिए एक बिल मर्कज़ी काबीना के रूबरू जुमेरात को पेश किए जाने का इम्कान है। वक़्फ़ एक्ट 1995 में तरामीम के लिए मुसव्वदा तरमीमी बिल 2010 वक़्फ़ इदारों को मज़बूत बनाना और उनके काम काज में बेहतरी लाने की तजवीज़ पेश करता है जिसका मक़सद मुल्क भर में वक़्फ़ जायदादों पर क़ब्ज़ों के मसला से निमटना है।

वक़्फ़ एक्ट में मुख़्तलिफ़ फ़िक़्रों की हद बंदियों के सबब औक़ाफ़ का मुनासिब तहफ़्फ़ुज़ माज़ी में बड़ा कठिन काम रहा है। वक़्फ़ इस्लाहात का मसला जबसे हुकूमत ने इस ज़िमन में इक्दामात शुरू किए, तब से ही मुतनाज़ा मसला बना हुआ है। साबिक़ वज़ीर इकलेती उमूर सलमान ख़ूर्शीद को बाअज़ मुस्लिम इदारों बिशमोल कुल हिंद मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की तरफ़ से इस मसला पर सख़्त मुख़ालिफ़त का सामना करना पड़ा था।

कई गोशों से एहतिजाजों के दरमियान ये बिल राज्य सभा की मुंतख़ब कमेटी से रुजू कर दिया गया था जिसने अपनी सिफ़ारिशात लगभग 10 माह क़ब्ल पेश कर दें। वज़ारत ने इनमें से ज़्यादातर तजावीज़ को शामिल कर लिया है। वक़्फ़ (तरमीमी) बिल लोक सभा में मई 2010 में मंज़ूर किया गया था।

क़ब्ल अज़ीं मुशतर्का पारलीमानी कमेटी ने अपनी 9 वीं रिपोर्ट में वक़्फ़ रिकार्ड्स के कमप्यूट्राइजेशन , वक़्फ़ इमलाक के फ़रोख़्त और मुनासिब नज़म-ओ-नसक़ के लिए सिफ़ारिशात पेश किए थे। सच्चर कमेटी ने भी मुल्क भर में वक़्फ़ इदारों के इंतेज़ामी ढांचा में तब्दीलियों की सिफ़ारिशात की हैं।

बिल में वक़्फ़ जायदादों को लीज़ पर देने की मुद्दत में बताया जाता है कि काबिल लिहाज़ हद तक इज़ाफ़ा कर दिया गया है। वज़ीर इकलेती उमूर के रहमान ख़ान इस बात पर ज़ोर देते आए हैं कि मुस्लिम बिरादरी का तालीम के लिए इंफ्रास्ट्रचर डेवलपमेंट में सरमाया लगाना ज़रूरी है और वक़्फ़ एसा शोबा है जहां वसाइल दस्तयाब हैं और उन्हें मज़ीद फ़रोग़ दिया जा सकता है ।