वक़्फ़ बोर्ड की कारकर्दगी बेहतर बनाने और वर्क कल्चर के आग़ाज़ के लिए अक़लीयती बहबूद ने बोर्ड में इस्लाहात मुतआरिफ़ करने का फ़ैसला किया है। इस फ़ैसला के मुताबिक़ ना सिर्फ़ वक़्फ़ बोर्ड के हेडक्वार्टर हैदराबाद में कारकर्दगी के म्यार को बेहतर बनाया जाएगा और कारकर्दगी में शफ़्फ़ाफ़ियत पैदा की जाएगी बल्कि अज़ला में वाक़े वक़्फ़ बोर्ड के दफ़ातिर को मुस्तहकम करने के इक़दामात किए जाएंगे।
वक़्फ़ बोर्ड में अगर्चे ओहदेदारों और मुलाज़मीन की कोई कमी नहीं ताहम बोर्ड की कारकर्दगी के बारे में मुख़्तलिफ़ गोशों से शिकायात वसूल हो रही हैं। साबिक़ स्पेशल ऑफीसर शेख़ मुहम्मद इक़बाल (आई पी एस) ने बोर्ड की कारकर्दगी बेहतर बनाने के लिए बाअज़ क़दम उठाए थे लेकिन उन की मियाद की तकमील के बाइस ये काम अधूरा रह गया।
दिलचस्प बात ये है कि ओहदेदारों और मुलाज़मीन की मौजूदगी के बावजूद मुत्तहदा आंध्र की तक़सीम को तीन माह मुकम्मल हो चुके हैं लेकिन अभी तक बोर्ड तक़सीम नहीं हो सका।
इस के इलावा औक़ाफ़ी जायदादों से मुताल्लिक़ दस्तावेज़ात और फाईलों के कंप्यूट्राइज़ेशन का काम भी अभी तक अधूरा है हालाँकि इस सिलसिले में उबूरी और कांट्रैक्ट की बुनियादों पर तक़र्रुरात किए गए थे।
बोर्ड की इस सुस्त रफ़्तार कारकर्दगी को देखते हुए महकमा ने बाअज़ इस्लाही इक़दामात का फ़ैसला किया है। साबिक़ में मुलाज़मीन की बरवक़्त हाज़िरी को यक़ीनी बनाने के लिए बायो मैट्रिक हाज़िरी का सिस्टम मुतआरिफ़ किया गया था लेकिन वो तजुर्बा नाकाम साबित हुआ।
बताया जाता है कि मुत्तहदा आंध्र प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड में मुस्तक़िल मुलाज़मीन की तादाद 195 है जबकि 70 मुलाज़मीन कांट्रैक्ट और उबूरी बुनियादों पर ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं।
अज़ला में वक़्फ़ बोर्ड के तहत इंतिहाई कम मुलाज़मीन हैं और वो अपने मुताल्लिक़ा ज़िला के तमाम औक़ाफ़ी मसाइल की यक्सूई से क़ासिर हैं लिहाज़ा मुलाज़मीन की तादाद में इज़ाफ़ा करते हुए कारकर्दगी को बेहतर बनाया जा सकता है।