वक़्फ़ बोर्ड ने भी कादियानियों को काफ़िर तस्लीम कर लिया

(सियासत न्यूज़) आंधरा प्रदेश स्टेट वक़्फ़ बोर्ड ने आज मुन्कीरीने अक़ीदा ए ख़तमे नबुव्वत कादियानियों मीरजाईयों के गैर मुस्लिम होने के आलम ए इस्लाम(इस्लामी राष्ट्रो) के फैसला पर सरकारी महर सब्त करदी है। आंधरा प्रदेश स्टेट वक़्फ़ बोर्ड का ये इक़दाम की सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के तमाम गैर इस्लामी ममालिक (देशों) में नज़ीर नहीं मिलती।

इस खूसूस में बोर्ड की जानिब से मंजूरा क़रारदाद के बारे में सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड जनाब ग़ुलाम अफ़ज़ल ब्याबानी ख़ुसरू पाशाह ने बोर्ड के अरकान के साथ एक प्रेस कान्फ़्रैंस में ऐलान किया।

बोर्ड की जानिब से क़रारदाद की मंज़ूरी के साथ ही हज हाउस‌ में जमा सैंकड़ों नौजवानों ने मुसर्रत-ओ-ख़ुशी का ज़बरदस्त मुज़ाहरा किया और बोर्ड के तमाम अरकान को मुबारकबाद दी। पूर जोश नौजवानों ने ग़ुलाम अहमद कादियानी की तसावीर पर मबनी वेनाएल पर्चम(झंडी) को फ़र्श(जमीन) पर बिछा दिया और उसे अपने पैरों से रौंदा।

उल्मा-ओ-मशाइखीन की बड़ी तादाद ने भी वक़्फ़ बोर्ड पहुंच कर सदर नशीन और तमाम अरकान बोर्ड को मुबारकबाद और दूआएं दीं। यूं तो आज दर्जनों उमूर इजलास में ग़ौर के लिए पेश किए गए लेकिन तमाम अरकान ने मुत्तफ़िक़ा तौर पर क़ादियानीयों से मुताल्लिक़ उमूर(सबंधीत मसलों) को जो एडीशनल एजंडा में शामिल थे ख़ुसूसी तौर पर ग़ौर करने का फैसला किया और इसी एक मसला पर बोर्ड का इजलास क़रारदाद की मंज़ूरी पर इख़तेताम पज़ीर(स्माप्त ) होग या।

इजलास में इस मसला पर तमाम शरई-ओ-क़ानूनी नीकात का बारीक बीनी से जायज़ा लिया गया। इजलास के दौरान ही वक़्फ़ बोर्ड ने शहर के एक नामवर ऐडवोकेट से क़ानूनी पहलूओं पर उन की आरा हासिल की। बोर्ड की मुत्तफ़िक़ा तौर पर मंजूरा क़रारदाद में कहा गया कि इस्लामी मकातिब ए फ़िक्र और उलमा ए किराम के फतावा-ओ-क़रारदादें इस बात की शाहिद (गवाह) हैं कि अहमदिया / कादियानी अक़ीदों के हामिल(धारण करने वालें) लोग दायरा इस्लाम (इस्लाम धर्म) से ख़ारिज(बाहीर) हैं और ये अमर मल्हूज़(इस बात का लीहाज ) रखते हुए कि अहमदीया/ कादियानी को दायरा इस्लाम से ख़ारिज(इस्लाम ध्रर्म से बाहीर) समझा गया है इस लिए वो गैर मुस्लिम ( काफ़िर। इस्लाम पर इमान ना रखने वाले) हैं और उन्हें दुनिया भर में यही समझा जाता है।

जनाब ख़ुस‌रू पाशाह ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड एक इदारा(संस्था) है जिस का क़ियाम इस्लामी मक़ासिद(मंशाएं) को पूरा करने वक़्फ़ कर्दा मज़हबी-ओ-मुक़द्दस इदारों की देख भाल‍ ओ‍ सीयानत(हीफाजत) के लिए अमल में लाया(बनाया) गया है।

क़रारदाद में कहा गया कि वक़्फ़ बोर्ड से ये तवक़्कू (आशा) नहीं की जा सकती कि इस्लाम की जानिब से मज़हबी यह मुक़द्दस(पवीत्र) तस्लीम ना किए जाने वाले मक़ासिद को पूरा करने वाले इदारों का अपने पास इंदेराज(लीखीत) रखे यह उन की देख भाल करे। इस्लाम के बुनियादी और अहम अक़ीदा के ख़िलाफ़ अक़ीदा की तब्लीग़ यह इस पर अमल को इस्लामी मक़सद तसव्वुर नहीं किया जा सकता। इस लिए बोर्ड ने ये मुत्तफ़िक़ा तौर पर फैसला किया है कि एंसी जायदादें जिन के मालिक और मुंतज़िम अहमदिया /कादियानी हैं उन्हें हुकूमत से रुजू किया जाये ताकि उन की देख भाल महकमा इंडो मेंट्स के ज़रीया की जा सके क्यों कि ये किरदार के एतबार से मुस्लिम आंधरा प्रदेश स्टेट वक़्फ़ बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकते। बोर्ड के इल्म में ये बात आई है कि एक मुस्लिम मस्जिद-ओ-क़ब्रिस्तान अहमदियों क़ादियानीयों के ज़ेर इंतिज़ाम है। बोर्ड ने ये भी फैसला किया कि इस मस्जिद और क़ब्रिस्तान को वक़्फ़ बोर्ड के कंट्रोल में ले लिया जाये।

ये भी फैसला किया गया कि सून्नी ओ शीआ वक़्फ़ के तौर पर दर्ज औक़ाफ़‍ओ‍ मूअलीना इदारों का भी क़बज़ा ले लिया जाये जो अहमदियों / क़ादियानीयों के ज़ेर ए क़बज़ा(क़ब्जा में) हैं।

जनाब ख़ुसरो पाशाह ने बताया कि बोर्ड को बाज़ सुनी इदारों(संस्थाओं) के ताल्लुक़ से(पती) मुतअद्दिद(बहूत) शिकायात-ओ-नुमाइंदगीयाँ मौसूल हुईं ।

उसे इदारों को वक़्फ़ बोर्ड अथवा वाक़िफ़ के हवाला करने की ज़रूरत है। बोर्ड का ये भी एहसास(मानना) है कि एसे इदारों के कंट्रोल नज़म-ओ-नसक़(बंदोबस्त) को इस्लामी वक़्फ़ के ख़ुतूत पर लाया जाये और उन के कंट्रोल में ना रहने दिया जाये जो मुस्लिम तसव्वुर (माने)नहीं किए जाते हैं।

सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ने बताया कि मुस्तक़बिल(भवीश्य) में भी अगर एसी जायदादों की निशानदेही हो तो आज के फैसला की रोशनी में ज़रूरी इक़दाम(कार्रवाई) किए जाएंगे।
सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ने बताया कि क़ाज़ी साहबान‌ ने पहले से ही निकाह से पहले कीजाने वाली तनकीहात(खोज खबर) में आक़दैन (लग्न करने वालों)में से कोई एक भी कादियानी होने का शुबा हो तो निकाह के उमूर अंजाम देना रोक दिया था।

सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ने तमाम मुस्लमानों से अपील की कि वो शरीयत-ओ-क़ानून की पासदारी(हीफाजत) करें और कोई एसा काम ना करें जो गैरकानूनी हो और वक़्फ़ बोर्ड को इस ज़िमन में ठोस इक़दामात करने में तआवुन(मदद) दें।

मौलाना सय्यद शाह अली अकबर निज़ामूद्दीन हुसैनी साबरी ने बताया कि इसी तरह मुस्लिम क़ब्रिस्तानों के मुतवल्लियों और तकियादारों से भी कहा जाएगा कि इस फ़िर्क़ा के मूत्यू पाने वालों की तदफ़ीन(दफन) ना करें।

जनाब सैय‌द उमर‌ जलील आई ए एस ने कहा कि क़ादियानीयों के ज़ेर तसल्लुत(क़ब्जा में ) इन ही इदारों से कीनाराकशी की जा रही है जो शुरू से उन ही की थीं। हम उसे किसी इदारा को उन के कंट्रोल में रहने नहीं देंगे जिन की नोईयत‌ पहले सून्नी / शीआ थी। यही नहीं बल्कि मुस्तक़बिल में भी इल्म होने पर कार्रवाई जाएगी।

जमात-ए-इस्लामी के अर्बाब ने मसला ख़त्म ए नबुव्वत पर वक़्फ़ बोर्ड की कार्रवाई को एक मुस्तहसन और दूररस नताइज(अछ्छे परीणाम) का हामिल इक़दाम क़रार दिया । आज के इज्लास की मुनफ़रीद नोईयत‌ ये रही कि सिर्फ एक ही मसला पर बोर्ड का इजलास ख़तन होगया।

पासबान अक़ीदा ए ख़त्मे नबुव्वत मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ख़त्मे नबुव्वत ट्रस्ट के अर्बाब मौलाना मुफ़्ती अब्दूलमूग़नी मज़ाहरी नायब, सदर मौलाना मुफ़्ती ग़ियास उद्दीन रहमानी , सैक्रेटरी मौलाना अरशद क़ासमी , सैक्रेटरी जनरल और मौलाना अंसारूल्लाह क़ासमी , ओर्गेनाईज़र ने वक़्फ़ बोर्ड के तमाम अरकान का फ़र्दन फ़र्दन शुक्रिया अदा करते हुए उसे एक तारीख साज़ इक़दाम क़रार दिया।

बोर्ड के इजलास के दौरान शहर के उल्मा किराम और मशाइखीन मौलाना मुहम्मद फ़सीहूद्दीन निज़ामी , मौलाना सय्यद औलिया-ए-हुसैनी मुर्तज़ा पाशाह , मौलाना सय्यद शाह फ़ज़लूल्लाह कादरी अल्मूस्वी और मौलाना असरार हुसैन रज़वी ने इजलास के दौरान बोर्ड के अरकान से मुलाक़ात की इजाज़त तलब की और उन्हें मुस्लमानों के एहसासात(भावनाएं) से आगाह करवाया और क़रारदाद की मंज़ूरी के लिए दुआ की।

क़रारदाद की मंज़ूरी के साथ ही उल्मा ए किराम और मशाइखीन ईज़ाम की क़ियादत में नौजवानों की कसीर तादाद बोर्ड के अरकान से मुलाक़ात के लिए उमड पड़ी और गूलपोशी और शाल पोशी करते हुए अपनी मुसर्रत(खूशी) का इज़हार किया। इन में काबिल-ए-ज़िकर मौलाना सय्यद शाह अहमद उल-हुसैनी , सय्यद कादरी ,मौलाना सय्यद शाह ग़ुलाम समदानी अली कादरी , जनाब सय्यद शाह ग़ुलाम क़ादिर क़ुतुब कादरी जनाब अबदुलक़ादिर वहीद पाशाह जनाब हाफ़िज़ मुज़फ़्फ़र हुसैन जनाब सरवर ब्याबानी हैं। सदर रियासती सदर जमाअतू ल उलेमा-ओ-रुकन क़ानूनसाज़ कौंसल की हिदायत पर जमाअतू ल उलेमा के एक नुमाइंदा वफ़द ने भी मुलाक़ात करते हुए मुबारकबाद दी। ये वफ़द मौलाना क़ुतुबूद्दीन क़ासमी मौलाना सुहेल अहमद क़ासमी मौलाना ज़ुल्फीक़ार मौलाना अबदूलजवाद और मौलाना मुहम्मद आदिल पर मुश्तमिल था। महर ओरगनाइज़ेशन की जानिब से ग़ुलाम अहमद कादियानी की तस्वीर का एक वसीअ-ओ-अरीज़ ब्यानर फ़र्श पर बिछा दिया गया था जिस को जयाले नौजवान अपने पैरों तले रौंदते रहे। महर ओरगनाइज़ेशन के जनाब अफान कादरी इस्लामिक एवेरनेस सोसाइटी के जनाब तल्हा कादरी और क़ाज़ी अज़मतूल्लाह जाफरी की जानिब से मिठाईयां तक़सीम की गएं और तमाम अरकान की गूलपोशी और शाल पोशी की गई।

मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ख़तम‌ नबुव्वत के अरकान ख़ासकर फ़लक नुमा से ताल्लुक़ रखने वालों ने बहुत जोश-ओ-ख़रोश का मुज़ाहरा किया चूँकि इन ही के इलाक़ा की एक सून्नी मस्जिद पर इस फ़िर्क़ा ने क़बज़ा कर रखा है।

इस मौक़ा पर ग़ुलाम अहमद कादियानी का पुतला नज़र-ए-आतिश किया(जलाया) गया। कांग्रेस के मुस्लिम क़ाइदीन ने भी मुलाक़ात करते हुए तमाम अरकान बोर्ड को मुबारकबाद दी जिन में काबिल-ए-ज़िकर एस के अफ़ज़लूद्दीन शाहिद पीरां मुहम्मद वहीद जावेद अबदुलक़ादिर मुहम्मद हाजी और एजाज़ ख़ान हैं।

इस मसला के तईं मिल्लत के नौजवान बड़े बे चैन-ओ-बेताब थे , वहीं बोर्ड के तमाम अरकान जनाब एम ए ख़ान रुकन पार्लीमेंट मौलाना सैय‌द शाह अली अकबर हुसैनी साबरी मौलाना ज़हीरूद्दीन अली सूफ़ी जनाब इलियास सेठ जनाब अबदुलजब्बार जनाब सय्यद उमर जलील आई ए एस जनाब अल्ताफ़ हैदर रज़वी ने भी ग़ैरमामूली दिलचस्पी का मुज़ाहरा किया और सिर्फ उसी मसला पर ग़ौर ख़ौज़ करने से इत्तेफ़ाक़ किया और एक एसी क़रारदाद तैयार करने की सई (कॊशिश‌) की जो नक़ाइस(कमज़ॊरियॊ) से पाक हो।

बोर्ड के अरकान ने बताया कि सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड को लाहक़ इमकानी ख़तरात के पेश नज़र वो एक क़रारदाद मंज़ूर करते हुए हुकूमत से ख़ाहिश करेंगे कि इन की सेक्यूरीटी में इज़ाफ़ा किया जाय।