वक़्फ़ बोर्ड में इस्लाहात और वर्क कल्चर के फ़रोग़ के लिए स्पेशल ऑफीसर जनाब जलाल उद्दीन अकबर आई पी एस ने बोर्ड के ओहदेदारों और मुलाज़मीन से तआवुन को नागुज़ीर क़रार दिया। उन्हों ने आज वक़्फ़ बोर्ड में ईद मिलाप तक़रीब के ज़रीए ओहदेदारों और मुलाज़मीन में औक़ाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ का जज़बा पैदा करने की कोशिश की।
उन्हों ने वक़्फ़ बोर्ड में ओहदेदारों और मुलाज़मीन के दरमियान बेहतर ताल मेल की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि हर शख़्स में ये जज़बा होना चाहीए कि वो अल्लाह की अमानत का अमीन है। वक़्फ़ जायदादें दरअसल अल्लाह की अमानत होती है और हमें इस के लिए अल्लाह के हुज़ूर जवाबदेही का एहसास पैदा करना होगा।
जनाब जलाल उद्दीन अकबर ने वक़्फ़ बोर्ड में डिसिप्लिन और बेहतर ताल मेल की कमी का हवाला देते हुए कहा कि यही चीज़ें औक़ाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ में रुकावट बन रही हैं। उन्हों ने कहा कि सैंकड़ों की तादाद में मुक़द्दमात अदालतों में ज़ेरे दौरान हैं और 2007 से इन मुक़द्दमात के जवाबी हलफनामे वक़्फ़ बोर्ड की जानिब से दाख़िल नहीं किए गए।
उन्हों ने कहा कि इस सिलसिले में ओहदेदारों का ये इस्तिदलाल होता है कि फ़लां सेक्शन की जानिब से कोई जवाब नहीं आया। अफ़सोस इस बात पर है कि एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन तक पेपर पहुंचने के लिए कई माह लग जाते हैं।
ज़रूरत इस बात की है कि औक़ाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ के जज़बा के तहत ख़ुद मुलाज़मीन मुताल्लिक़ा सेक्शन से रुजू होकर तफ़सीलात हासिल करें। जनाब जलाल उद्दीन अकबर ने तवील अर्सा से प्रोमोशन के तात्तुल पर अफ़सोस का इज़हार किया और कहा कि वक़्फ़ बोर्ड की दोनों रियासतों में तक़सीम तक वो इस सिलसिले में कोई फैसला नहीं कर सकते।