वक़्फ़ बोर्ड में स्पेशल ऑफीसर की गैर मौजूदगी का फ़ायदा उठाकर बाअज़ सियासी अनासिर बोर्ड पर मुकम्मल कंट्रोल हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। बावसूक़ ज़राए ने बताया कि वक़्फ़ माफिया की सरपरस्ती करने वाले सियासी क़ाइदीन तेलंगाना हुकूमत पर दबाव बना रहे हैं कि वो वक़्फ़ बोर्ड के उमूर की निगरानी के लिए स्पेशल ऑफीसर के बजाय तीन रुक्नी कमेटी तशकील दी।
इस सिलसिले में हुकूमत से नुमाइंदगी की गई जिस के बाद हुकूमत ने महकमा अक़लीयती बहबूद से इस सिलसिले में रिपोर्ट तलब की है। वक़्फ़ बोर्ड के सदर नशीन और अरकान की मीआद के इख़तेताम के बाद साबिक़ में भी तीन रुक्नी कमेटी के क़ियाम की कोशिश की गई थी।
ताहम हुकूमत ने ऐसे मंज़ूर नहीं किया। बताया जाता है कि हैदराबाद हाईकोर्ट की जानिब से स्पेशल ऑफीसर के तक़र्रुर के अहकामात को मुअत्तल किए जाने के बाद से तीन रुक्नी कमेटी के क़ियाम की सरगर्मियां तेज़ हो चुकी हैं।
ज़राए ने बताया कि महकमा अक़लीयती बहबूद की जानिब से इस सिलसिले में हुकूमत को मुताल्लिक़ा फाईल रवाना की गई है और कमेटी के क़ियाम से मुताल्लिक़ क़तई फैसला चीफ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव करेंगे। वक़्फ़ माफिया और उन की सरपरस्ती करने वाले सियासी क़ाइदीन हरगिज़ नहीं चाहते कि हुकूमत मौजूदा स्पेशल ऑफीसर जलाल अलुद्दीन अकबर को बरक़रार रखे।
उन्हों ने स्पेशल ऑफीसर की हैसियत से इबतिदाई 6 माह की मीआद में कई अहम औकाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाया था। इस के इलावा उन्हों ने 70 ता 75 मुक़द्दमात दर्ज करते हुए गैर मजाज़ काबिज़ीन के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आग़ाज़ किया।
मालीयाती उमूर के सिलसिले में भी सी ई ओ को सिर्फ़ 10,000 रुपये की मंज़ूरी का अख़्तियार हासिल है जबकि इस से ज़ाइद रक़म के लिए स्पेशल ऑफीसर की मंज़ूरी ज़रूरी है। गुज़िश्ता एक हफ़्ता से वक़्फ़ बोर्ड की सरगर्मियां अमलन ठप हो चुकी हैं।