वज़ारत ए अक़लीयती उमूर सिर्फ़ स्कालरशिप्स और मामूली क़र्ज़ा जात तक महिदूद

नई दिल्ली, 30 दिसंबर: (पीटीआई) वज़ारत ए अक़लीयती उमूर ने साल 2012 में नुमायां कारकर्दगी का मुज़ाहिरा नहीं किया और कई अहम मौज़ूआत जैसे ज़ेली कोटा, वक़्फ़ इस्लाहात और मुसावी मवाक़े कमीशन के ताल्लुक़ से कोई पेशरफ्त नहीं हुई।

वज़ारत का सिर्फ़ एक कारनामा ये क़रार दिया जा सकता है कि गुज़शता मालीयाती साल स्कालरशिप का निशाना पूरा किया गया। इस साल कर्नाटक से ताल्लुक़ रखने वाले के रहमान ख़ान ने बहैसीयत वज़ीर‍ ए‍ अक़लीयती उमूर सलमान ख़ुरशीद की जगह ली।

जहां तक गुज़शता एक साल के दौरान वज़ारत की कारकर्दगी का सवाल है ये सिर्फ़ मामूली नौईयत के मौज़ूआत जैसे स्कालरशिप्स और छोटे पैमाना पर क़र्ज़ा जात तक महिदूद रहे।

के रहमान ख़ान ने कहा कि सबसे अहम मक़सद हमारे लिए ये है कि अक़लीयतों के लिए वज़ीर-ए-आज़म के पंद्रह नकाती प्रोग्राम पर अमल किया जाये और मर्कज़ी हुकूमत की तमाम इस्कीमात में अक़लीयतों को इनका हिस्सा मिले।

उन्होंने ये तस्लीम भी किया कि इस्कीमात पर नज़र रखना एक मसला है। मालीयाती साल के दौरान अक़लीयतों को तरजीही बुनियादों पर 17,02,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ा जात फ़राहम किए गए और इंदिरा आवास योजना के तहत तक़रीबन 2,70,000 मकानात की मंज़ूरी अमल में आई।

ये वज़ीर-ए-आज़म के पंद्रह नकाती प्रोग्राम में शामिल है। स्कालरशिप्स के लिए जारीया साल 438.93 करोड़ रुपये की रक़म जारी की गई। इसके इलावा 133.25 करोड़ रुपये के क़र्ज़ा जात की तक़सीम-ए-अमल में आई और 32,374 अक़लीयतों ने इससे इस्तिफ़ादा किया।

मौजूदा वक़्फ़ क़ानून में तरमीम या मुसावियाना मौक़े कमीशन की तरह इदारा के क़ियाम के ताल्लुक़ से वज़ारत ने ख़ातिरख़वाह पेशरफ्त नहीं की। अक़लीयती ज़ेली कोटा पर भी तात्तुल बरक़रार रहा। काबीना ने 23 दिसंबर को जो फ़ैसला किया इसके मुताबिक़ आलामीया जारी करते हुए ओ बी सी के लिए 27 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात में से अक़लीयतों को 4.5 फ़ीसद ज़ेली कोटा मुख़तस किया गया लेकिन इलेक्शन कमीशन ने इस पर अमल आवरी रोक दी क्योंकि चार रियास्तों में इंतेख़ाबात होने वाले थे।

बादअज़ां आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट ने उसे मुस्तर्द कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने तहफ़्फुज़ात का इज़हार किया था। मिस्टर के रहमान ख़ान जिन्होंने अक्तूबर के आख़िरी हफ़्ता में काबीनी रद्दोबदल के बाद ये वज़ारत सँभाली, इस यक़ीन का इज़हार किया कि आइन्दा साल पार्लीमेंट के बजट सेशन में मुतनाज़ा वक़्फ़ इस्लाहात बिल पेश कर दिया जाएगा।

उन्होंने मुसावी मवाक़े बिल भी आइन्दा सेशन में पेश करने की तवक़्क़ो ज़ाहिर की। वज़ारत अक़लीयती उमूर नैशनल मायनारीटी डेवलपमेंट कारपोरेशन की तशकील के भी क़तई मरहला में है।

वज़ारत इस कारपोरेशन में दो ज़ेली इदारे शामिल करने की भी तजवीज़ रखती है और एक ऐसा मंसूबा तैयार किया जा रहा है जिसमें अक़लीयतों को तालीमी मवाक़े फ़राहम करने में मौलाना आज़ाद एजूकेशनल फाउंडेशन का सरगर्म रोल होगा।