वज़ीरेआला दाल चावल मंसूबा पर लगा बरदारी

रांची 21 अप्रैल : एक़्तेसदि तौर से कमजोर तबके के लोग अब पांच रुपये में भरपेट दाल-भात नहीं खा पायेंगे। वज़ीर ए आला दालभात मंसूबा पर बहरान आ गया है। मरकजी हुकूमत ने चावल का तक़सीम रोक दिया है। इसके साथ ही अब यह मंसूबा आगे चलेगी कि नहीं इस पर शक है।

“वज़ीरेआला दाल चावल मंसूबा” के साथ-साथ रियासत के सभी जेलों व रिहायसी स्कूलों में भी चावल की फराहम बंद हो जायेगी।

इधर बताया जा रहा है कि चावल का स्टॉक अप्रैल माह तक ही है। मई के बाद शायद दाल-भात मरकज़ तक चावल की फराहम नहीं हो सकेगी। तब ऐसी सूरत में मई से मरकज़ के बंद होने का इमकान है।

क्या है मामला : खाना फराहम सेक्रेटरी अजय कुमार सिंह ने बताया कि मरकज़ी हुकूमत की तरफ से ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत चावल की फराहम दाल-भात मरकज़ों, रिहायसी स्कूलों व जेलों में किया जाता है।

मंसूबाबंदी के तहत ग्रांट रक़म पर चावल रियासती हुकूमत को मिलती है। मरकज़ी हुकूमत ने इस स्कीम को ही बंद कर दिया है। हर साल तक़रीबन 50 हजार मीट्रिक टन चावल रियासत को मिलता था। अब स्कीम बंद हो जाने से परेशानी हो रही है। हालांकि सिंह ने बताया कि उन्होंने मरकज़ी हुकूमत को मंसूबों की जानकारी देते हुए इस मामले में नज़रसानी की दरख़ास्त की है।

साबिक़ वज़ीरेआला ने जताया एतराज
“वज़ीरेआला दाल चावल मंसूबा” के लिए ओएमएसएस स्कीम बंद किये जाने पर साबिक़ वज़ीरेआला अर्जुन मुंडा ने कड़ा एतराज़ जताया है। उन्होंने कहा कि “वज़ीरेआला दाल चावल मंसूबा” गरीबों को पांच रुपये में भरपेट खाना फराहम कराने की मंसूबा है। गरीबों को खाना मिले, इसके लिए ही यह मंसूबा शुरू की गयी थी। मुंडा ने मौज़ूदा हुकूमत की मज्मत करते हुए कहा कि यह हुकूमत गैर फ़ाल है, वरना ऐसी नौबत नहीं आती। अगर किसी को “वज़ीरेआला दाल चावल मंसूबा” नाम से एतराज़ है तो इसका नाम बदल दे, लेकिन मंसूबाबंदी को बंद नहीं किया जाना चाहिए।