वज़ीर-ए-आज़म शाम रियाज़ हिजाब मुनहरिफ़

वज़ीर-ए-आज़म शाम रियाज़ हिजाब ने इन्हिराफ़ करके अप्पोज़ीशन की ताईद की है। एक मुबस्सिर ग्रुप ने आज उस की इत्तिला (जानकारी) दी जबकि सरकारी ज़राए इबलाग़(मिडिया) ने ऐलान किया कि वज़ीर-ए-आज़म की अचानक बरतरफ़ी उन के तक़र्रुर(नियुक्ति) के सिर्फ दो माह बाद अमल में आई है।

अगर इस ख़बर की तौसीक़(पुष्टि) हो जाए तो हिजाब का इन्हिराफ़ आला तरीन सतह की 17 माह क़दीम शोरिश के दौरान सदर शाम बशारुल असद पर ये अब तक की सब से कारी ज़रब है।

सदर बशारुल असद को अब तक अपने 31 जनरलों के इन्हिराफ़ का पहले ही सदमा पहुंच चुका है जो सरहद पार करके तुर्की पहुंच चुके हैं ताकि बाग़ीयों के साथ शामिल होजाएं। इस तरह मुनहरिफ़ सफ़ीरों की तादाद में भी मुसलसल इज़ाफ़ा होता जा रहा है।

असद की अक़ल्लीयती अलावे फ़िर्क़ा के ग़लबा वाली काबीना में हिजाब सुन्नी मुस्लमान थे। इन का आबाई सूबा देर एज़ोर शुमाली मशरिक़ में वाक़ै है जो झड़पों का मैदान-ए-जंग बना हुआ था।

हालिया हफ़्तों में फ़ौज के हाथों हलाक होने वाले शहरीयों की तादाद में बेतहाशा इज़ाफ़ा देखा गया है।। 46 साला रियाज़ हिजाब को 6 जून को वज़ीर-ए-आज़म मुक़र्रर किया गया था जबकि 7 मई को पारलीमानी इंतिख़ाबात का वसीअ पैमाना पर मुक़ातआ (बाइकाट)किया गया था।

इन इंतिख़ाबात और हुकूमत की जानिब से सताइश करते हुए उन को आइन्दा इस्लाहात का मर्कज़ी नुक्ता क़रार दिया गया था जबकि मग़रिबी ममालिक ने इन इंतिख़ाबात को ढोंग क़रार देते हुए मुस्तर्द करदिया था।