वरंगल,23 जनवरी: ( प्रेस नोट ) शहर वरंगल के क़दीम-ओ-अरीज़ मौक़ूआ क़ब्रिस्तान गंज शुहदा हज़रत सय्यद जानुल्लाह शहीद की हिसारबंदी के तामीरी कामों का संग बुनियाद बदसत ए लिहाज सयय्यद शाह मुस्तफ़ा कादरी रखा गया। बादअज़ां एक जलसा बसदारत मुहम्मद अबदुलजब्बार मुनाक़िद होगा। इस मौक़े पर हज़रत कमाल पाशाह ने मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से मुख़ातिब करते हुए कहा कि औकाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ के लिए मिल्लते इस्लामीया में इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ नागुज़ीर है और फ़र्द-ए-वाहिद की कोशिशें समर आवर नहीं हो सकती।
इस क़दीम क़ब्रिस्तान के तामीरी कामों का जो बेड़ा उठाया गया क़ाबिल-ए-सताइश है और कहा कि कई सालों से ज़ेर अलतवा इस क़दीम क़ब्रिस्तान की हिसारबंदी के तामीरी कामों का आग़ाज़ अल्लाह तआला का बहुत बड़ा फ़ज़ल-ओ-करम है। जनाब एम ए के तनवीर मुशीर आला वक़्फ़ प्रोटेक्शन कमेटी वरंगल ने कहा कि ज़िला वरंगल का क़दीम-ओ-अरीज़ मौक़ूआ क़ब्रिस्तान जो अरसा-ए-दराज़ से नाजायज़ क़ब्ज़ों और तनाज़ों का शिकार रहा।
आज इस क़ब्रिस्तान के तामीरी कामों का आग़ाज़ हुआ। ख़ुश आइंद बात है। ये क़ब्रिस्तान दर्ज औक़ाफ़ है। सर्वे नंबर 1675, 1676, 1678, 1679, 1680, 1681 जिस का रुकबा 8.14, 8 एकर 14 गुंटे पर मुहीत है। इस क़ब्रिस्तान से मुतस्सिला ज़िला वरंगल की वसीअ ईदगाह भी है। माज़ी में लैंड गिरा बरस इस मौक़ूआ अराज़ी का रेकॉर्ड तब्दील करते हुए 1994 में फ़रोख्त किए। इस के अलावा हाईकोर्ट में 1994 में हुक्म अलतवा हासिल किया लेकिन 2001 में जब इस ईदगाह-ओ-क़ब्रिस्तान के तहफ़्फ़ुज़ के लिए बाअज़ दर्दमंद हज़रात के अलावा अज़खु़द सामने आए।
इन तमाम बातों का इल्म सामने आया। साबिक़ एम आर ओ जनाब अल्हाज मुहम्मद क़मरुज़्ज़मां, डिस्ट्रिक्ट रेवन्यू ऑफीसर जनाब पी किशन और साबिक़ कलैक्टर जनाब प्रभाकर रेड्डी के तआवुन से क़दीम रेकॉर्ड की तसहीह की गई और हाईकोर्ट में हुक्म अलतवा को 2003 में बरख़ास्त किया गया। साबिक़ में कोर्ट कमिश्नर का तक़र्रुर करते हुए ईदगाह-ओ-क़ब्रिस्तान सर्वे करवाया गया।
उस वक़्त 39 नाजायज़ काबज़ीन क़बज़ा किए हुए थे। लेकिन 2006 ता 2012 के दौरान तकरीबन 130 काबज़ीन क़बज़ा किए। इस सिलसिले में अर्बाब औक़ाफ़ और रियासती चीयरमैन जनाब ख़ुसरू पाशाह के इल्म में लाया गया। ताहाल किसी किस्म की कार्रवाई नहीं हुई। इस खुसूस में काबज़ेन के ख़िलाफ़ ख़ुसरू पाशाह-ओ-ज़िला इंतिज़ामीया के आली ओहदेदार और अर्बाब वक़्फ़ बोर्ड तवज्जा लें।
साबिक़ कारपूरेटर एम आरिफ़ ने मुख़ातब करते हुए कहा कि इस मौक़ूआ क़ब्रिस्तान के तहफ़्फ़ुज़ के लिए साबिक़ में 12,00000/- बारह लाख रूपयों से हिसारबंदी का काम मुकम्मल किया गया और कहा कि आइन्दा मुझ से जो तआवुन होगा ज़रूर करूंगा। आपसी इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ से मिली मसाइल को हल किया जा सकता है। इस मौक़े पर उन्होंने अपनी तरफ़ से 10,000 रुपये के तआवुन का ऐलान किया। जनाब मुहम्मद अबदुलजब्बार ने अपनी सदारती तक़रीर में कहा कि क़ब्रिस्तान गंज शुहदा हज़रत सयय्यद जानुल्लाह शहीद की हिसारबंदी के तामीरी कामों का आग़ाज़ हुआ।
वो हमारे लिए ख़ुश आइंद बात है और अपनी जानिब से आहनी फाटक की तंसीब के अलावा तामीरी कामों के लिए 50,000 रुपये तआवुन करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस वसीअ-ओ-अरीज़ क़ब्रिस्तान की हिसारबंदी और तहफ़्फ़ुज़ के लिए अहले ख़ैर हज़रात के अलावा मुक़ामी मुसलमान सामने आएं।क्योंकि फ़र्द-ए-वाहिद इस काम को अंजाम देना नामुम्किन है। अगर इस क़ब्रिस्तान के तहफ़्फ़ुज़ में मिल्लते इस्लामीया नाकाम होतो आइन्दा तदफ़ीन के लिए जगह मिलना नामुमकिन है। इस मौके पर ईदगाह क़िला वरंगल के नायब सदर मुहम्मद हफ़ीज़ुद्दीन ख़ाज़िन, सय्यद फ़रीदुद्दीन मोतमिद वक़्फ़ प्रोटेक्शन कमेटी, मुहम्मद रफीक पाशाह, मुहम्मद नूरुद्दीन, मुहम्मद ख़ाजा पाशाह, मुहम्मद सलीम, मुहम्मद अबदूल्लतीफ़, मिर्ज़ा नसीर बैग, मुहम्मद हुसैन पाशाह, मुहम्मद ब्याबानी, एम ए रहमान, मुहम्मद याक़ूब अली, मुहम्मद शरफुद्दीन, मुहम्मद याक़ूब, मुहम्मद दस्तगीर, मुहम्मद अबदुर्रहमान वहदनी, सय्यद सुबहान, मुहम्मद महबूब अली, मुहम्मद फ़ैज़ुद्दीन के अलावा कसीर तादाद में नौजवानों ने शिरकत की।
हज़रत कमाल पाशाह की दुआ पर जलसे का इख़तेताम अमल में आया। जलसे का आग़ाज़ मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद यूसुफ़ शरीफ़ हुसामी की क़िराते कलाम पाक से हुआ। सय्यद फ़रीदुद्दीन ने जलसे की कार्रवाई चलाई।