वरुण गांधी इश्तेआल अंगेज़ तकरीर के एक मामले में बरी

लखनऊ, 28 फरवरी: उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत ने बीजेपी लीडर और पीलीभीत से एम पी वरुण गांधी को इश्तेआल अंगेज़ तकरीर देने के एक मामले में बरी कर दिया है |

पीलीभीत में वरुण गांधी के खिलाफ इश्तेआल अंगेज़ तकरीर (भड़काऊ भाषण) के दो मामले हैं| इनमें से एक में कोर्ट ने वरुण गांधी को आज बरी कर दिया है| दूसरे मामले पर फैसला जुमा को आ सकता है|

ग़ौरतलब है कि साल 2009 में वरुण गांधी ने इंतेखाबी मुहिम के दौरान अपने इंताखाबी मैदान पीलीभीत में मुबय्यना तौर पर इश्तेआल अंगेज़ तकरीर दिए थे और एक खास बिरादरी के खिलाफ काबिल ऐतराज़ तब्सिरे किए थें |

इस मामले में वरुण गांधी को 19 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा था | वे इल्ज़ामों से इनकार करते रहे हैं | वरुण गांधी का इल्ज़ाम है कि कि उनकी इमेज खराब करने के लिए ये मुकदमे किए गए |

इस्तेगाशा की ओर से 51 गवाह पेश किए गए जिनमें किसी ने भी कोई सुबूत या बयान नहीं दिया जिससे वरुण गांधी पर शिकंजा कसता |

वरुण गांधी पर आईपीसी की मुखतलिफ दफआत के तहत केस दर्ज किया गया था | इश्तेआल अंगेज़ तकरीर देने के मामले में उनपर पहला एफआईआर 17 मार्च, 2009 में बाड़खेरा पुलिस थाने में दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मुकदमा 18 मार्च, 2009 में सदर कोतवाली में दर्ज किया गया. ये केस 8 मार्च, 2009 में दालचंद इलाके में इश्तेआल अंगेज़ तकरीर देने के मामले में दर्ज किया गया था.

साल 2009 में बीएसपी हुकूमत ने वरुण गांधी पर एनएसए भी लगा दिया था और उन्हें ऐटा जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन मई 2009 में सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के बाद एनएसए हटा लिया गया | लेकिन इन सब के बीच वरुण गांधी लोकसभा का इंतेखाब जीतने में कामयाब रहे |

दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल सितंबर में वरुण गांधी ने मौजूदा एसपी हुकूमत को खत लिखा था कि उनके मुकदमों को वापस ले लिया जाए क्योंकि यह ‘सियासत से हौसला अफज़ाई’ थे |

इसके बाद रियासती हुकूमत ने पीलीभीत इंतेज़ामिया ने यह रिपोर्ट मांगी थी कि आवामी मुफाद में वरुण गांधी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाय या नहीं |