सरकारी दवाख़ानों में डाक्टरों की मुजरिमाना लापरवाही से कई मरीज़ अपना दम तोड़ रहे हैं जिस के बाइस अक्सर मरीज़ ख़ानगी दवाख़ानों से रुजू होने को तर्जीह दे रहे हैं।
जबकि ख़ानगी दवाख़ानों के डॉक्टर्स डायरेक्टरस मरीज़ों के अफ़रादे ख़ानदान से दवाएं और फ़ीस के नाम पर लाखों रुपये लूट रहे हैं। जिस से मरीज़ों के अफ़रादे ख़ानदान में तशवीश पाई जाती है।
बाज़ एसे इंसान हैं जो मेहनत मज़दूरी करते हुए ईलाज की ग़रज़ से सरकारी दवाख़ानों में शरीक होते हैं ये जान कर कि डॉक्टर्स की तरफ से उन्हें वक़्त पर ईलाज और दवाएं दस्तयाब होंगी लेकिन ये दरअसल ग़लत है। यहां पर ज़िंदा मरीज़ को डाक्टरों की ग़फ़लत और लापरवाही से मुर्दा क़रार दिए जाने के वाक़ियात भी मंज़रे आम पर आरहे हैं।
एसा ही एक हैरतअंगेज़ वाक़िया वर्ंगल के महात्मा गांधी हॉस्पिटल (MGM) में पेश आया। ज़िला वर्ंगल के ज़रई पेशा 24 साला एम धरमिलो खेती बाड़ी करके घर पहुंच रहा था कि अचानक इस का पैर एक दरख़्त से टकराने पर खाई में जागरा। कुछ देर बाद मुक़ामी अफ़राद ने उसे ईलाज के लिए एमजी एम मुंतक़िल किया ताहम तीन घंटे ईलाज के बाद चंद डाक्टरों ने इस मरीज़ को मुर्दा क़रार दिया। हॉस्पिटल के मॉर्चरी के क़रीब तीन घंटे तक उस की लाश के क़रीब रिश्तेदार आह-ओ-बका करते हुए उसे श्मशान घाट ले गए लेकिन आख़िरी रसूमात के एन क़बल इस मुर्दा के अचानक उठ जाने से रिश्तेदार और मुक़ामी अफ़राद हैरतज़दा होगए और बाज़ अफ़राद ने श्मशान घाट से भागना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद ये शख़्स अपने मकान पहुंचा और अपने रिश्तेदारों से तबादला-ए-ख़्याल करते हुए कहा कि आप लोग क्युं रो रहे हैं में बिलकुल ठीक हूँ। फिर उसे एक ख़ानगी दवाख़ाना में शरीक करने के बाद इस बात का इन्किशाफ़ हुआ कि इस के दिमाग़ पर चोट लगने की वजह से वो बेहोश होगया था। कुछ घंटे बाद होश में आ जाने से इस तरह का वाक़िया पेश आया।
इस वाक़िये से इस बात का इज़हार होता हैके किस तरह सरकारी दवाख़ानों में डाक्टरों की लापरवाही बढ़ती जा रही है कि जिस मरीज़ की मौत ही नहीं हुई है उसे मुर्दा ख़ाने में डाल दिया जा रहा है।