नई दिल्ली: हुकूमत वर्कर्स की अक़ल्लतरीन उजरतों में इज़ाफे की तजवीज़ पर ग़ौर कर रही है। विज़ारत लेबर के एक आला ओहदेदार ने ये बात बताई। लेबर सेक्रेटरी शंकर अग्रवाल ने बताया कि विज़ारत में इस बात पर तबादले ख़्याल जारी है कि वर्कर्स की अक़ल्लतरीन उजरतों में इज़ाफ़ा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मुशावरत का मक़सद यही है कि वर्कर्स की अक़ल्लतरीन उजरतें दूसरे लेबर कमीशन इंडियन लेबर कान्फ़्रेंस और साबिक़ा मंसूबा बंदी कमीशन की जानिब से तैयार करदा मियारात की मुताबिक़त में हूँ। अग्रवाल ने कहा कि अभी विज़ारत ने इस बात का जायज़ा नहीं लिया है कि अक़ल्लतरीन उजरतों में कितना इज़ाफ़ा होना चाहिए अभी ये तजवीज़ जायज़ा और तबादले ख़्याल के मरहले में है।
गुज़िशता महीने मर्कज़ी हुकूमत ने नेशनल फ़्लोर लेवल अक़ल्लतरीन उजरत पर नज़र-ए-सानी की थी और उसे 137 रुपये से बढ़ाकर 160 रुपये किया था। इन उजरतों पर एक जुलाई 2015 से अमलावरी हो रही है। हुकुमत का कहना है कि उजरतों के ढांचे में यकसानियत पैदा करने और मलिक के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में अक़ल्लतरीन उजरतों में पाए जानेवाले फ़र्क़ को कम करने के मक़सद से नेशनल फ़्लोर लेवल अक़ल्लतरीन उजरत का तीन किया गया है और सारफ़ीन की कीमतों के अशारीया की बुनियादों पर उन पर वक़फ़ा वक़फ़ा से नज़र-ए-सानी की ज़रूरत है।
गुज़िशता मर्तबा नेशनल फ़्लोर अक़ल्लतरीन उजरत में एक जुलाई 2013 से नज़र-ए-सानी की गई थी और उन्हें 115 रुपये से बढ़ाकर 137 रुपय किया गया था। मर्कज़ के अलावा रियासती हुकूमतों की जानिब से भी वक़फ़ा वक़फ़ा से उनकी जानिब से मुख़्तलिफ़ ज़मरों के वर्कर्स को अदा की जाने वाली अक़ल्लतरीन उजरतों का तीन किया जाता है।
इन में गैर मुनज़्ज़म शोबा के और मुनज़्ज़म शोबा के वर्कर्स भी शामिल हैं। सुरेश तैंडुलकर कमेटी के तरिक़ेकार के मुताबिक़ अख़राजात के एतबार से मुल्क गैर सतह पर गावों में ख़त ग़ुर्बत 4,080 रुपये की है जबकि शहरों में ये 5000 रुपये माहाना की है। ये आदाद-ओ-शुमार 2011- 2012 के हैं।