नई दिल्ली, 25 जनवरी (पी टी आई) हुकूमत बहुत जल्द जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशात पारलीमानी पैनल से रुजू करेगी ताकि इस पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया जा सके। इस कमेटी ने फ़ौजदारी क़वानीन में जामि तब्दीलीयों की सिफ़ारिश पेश की है। ज़राए ने बताया कि जस्टिस जे एस वर्मा की ज़ेर-ए-क़ियादत सहि रुकनी पैनल ने ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम से निमटने के लिए कई तजावीज़ पेश की है।
इन तजावीज़ को पहले ही फ़ौजदारी क़ानूनी तरमीमी बिल 2012 में शामिल किया गया है, जिसे पार्लीमेंट के सरमाई सेशन में मुतआरिफ़ किया जाने वाला है। वज़ारत-ए-दाख़िला इस रिपोर्ट का जायज़ा ले रही है और जो भी नई सिफ़ारिशात हैं उन्हें पारलीमानी स्टैंडिंग कमेटी बराए दाख़िली उमूर से ग़ौर-ओ-ख़ौज़ केलिए रुजू किया जाएगा।
बी जे पी लीडर एम वैंकया नायडू की ज़ेर-ए-क़ियादत स्टैंडिग कमेटी ने गुज़शता हफ़्ता वज़ारत-ए-दाख़िला से ख़ाहिश की थी कि वर्मा पैनल रिपोर्ट रवाना की जाये ताकि सिफ़ारिशात का जायज़ा लेते हुए अगर कोई बेहतर तजावीज़ हो तो उसे मुजव्वज़ा तरमीमी बिल में शामिल कर सके।
ज़राए ने बताया कि मुजव्वज़ा तरमीमात को पार्लीमेंट में पेश करने के लिए वज़ारत-ए-दाख़िला ने कोई वक़्त मुक़र्रर नहीं किया है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके पैनल ने अंदरून एक माह अपनी रिपोर्ट मुकम्मल करें और अब हुकूमत के पास एक माह का वक़्त है कि वो पार्लीमेंट में बिल पेश करने से पहले इन तजावीज़ का जायज़ा ले।
वर्मा कमेटी ने इजतिमाई इस्मतरेज़ि के इलावा ख़वातीन के ख़िलाफ़ दीगर जराइम के सिलसिला में सख़्त सज़ा की हिमायत की है। दिल्ली इजतिमाई इस्मतरेज़ि वाक़िया के ख़िलाफ़ अवामी एहतिजाज और ब्रहमी के बाद ये कमेटी तशकील दी गई थी।