वर्ल्ड रेसलिंग चैंम्पिन शिप का आज से बडापस्टि में शुरू हो रहा है। हिंदुस्तान की एक 22 रुक्नी टीम इस चैम्पिन शिप में हिस्सा ले रही है और वो अपनी कारकर्दगी का शानदार मुज़ाहरा करने की कोशिश करेगी।
लंदन ओलम्पिक्स में हिंदुस्तानी रेसलर्स को दो मैडल्स हासिल हुए थे और अब उन्हें उम्मीद है कि वो एक हफ़्ते तक चलने वाली इस चैम्पियन शिप में एक और कामयाबी रक़म करेंगे। रेसलिंग को हाल ही में ओलम्पिक खेलों में दुबारा शामिल करलिया गया है और हिंदुस्तानी रेसलर्स इस फ़ैसले से काफ़ी पुरजोश हैं।
इंटरनेशनल ओलम्पिक कमेटी ने साल 2020 और 2024 के ओलम्पिक गेम्स के लिए रेसलिंग को शामिल करने का फ़ैसला किया था। ओलम्पिक गेम्स के एक साल के बाद अब रेसलिंग वर्ल्ड चैम्पियन शिप का होना अमल में आ रहा है ऐसे में इस का शुरू मेन्स फ़्री इस्टाईल मुक़ाबलों से होगा इसके बाद वूमंस फ़्री इस्टाईल मुक़ाबले होंगे और गरीको-रोमन इस्टाईल मुक़ाबलों का भी एहतिमाम किया जा रहा है।
हिंदुस्तान ने अब तक रेसलिंग वर्ल्ड चैम्पियन शिप में सिर्फ़ 2010 में गोल्ड मैडल हासिल किया था जब 66 किलोग्राम के फ़ी इस्टाईल ज़मुरे में सुशील कुमार ने कामयाबी हासिल की थी। हिंदुस्तान 2011 के मुक़ाबलों में कोई गोल्ड मैडल हासिल नहीं करसका था। सुशील कुमार ने लंदन ओलम्पिक्स में अपना आख़िरी मसह बिकती मुक़ाबला किया था ताहम उन्हें गोल्ड मैडल के मैच में हार होगई थी। उनके कंधे में ज़ख़म आने की वजह से वो गुजिश्ता एक साल से मुक़ाबलों से दूर हैं ताहम उनका कहना है कि अब उनके कंधे का ज़ख़म पूरी तरह मुंदमिल होचुका है।
अरूण कुमार को सुशील की बजाय इस्टांड इन रखा गया है। अरूण ने जोंएरि एशियन रेसलिंग चैम्पियन शिप में जो जकार्ता में हुई थी गोल्ड मैडल जीता था। हिंदुस्तान की टीम में ताहम योगेश्वर दत्त शामिल नहीं हैं जो अपने टुख़ने के ज़ख़म से सेहतयाब हो रहे हैं।