वसीम मलिक के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात एक‌ अक्तूबर को वज़ा करने का फैसला

मलिक के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने का मुक़द्दमा चलाने एन आई ए की इस्तिदा मुस्तर्द एक अदालत ने आज यहां वसीम अकरम मलिकके ख़िलाफ़ बाक़ायदा इल्ज़ामात वज़ा करने केलिए एक‌ अक्तूबर की तारीख मुक़र्रर की , जिसे क़ौमी तहक़ीक़ाती एजंसी ने गुज़िश्ता साल दिल्ली हाइकोर्ट में पेश आए दहश्त गिरदाना हमले में इस के मुबय्यना रोल की पादाश में गिरफ़्तार किया है।

हिंदूस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने के सख़्त ताज़ीरी जुर्म के इल्ज़ाम को 4 सितंबर को हज़फ़ करते हुए डिस्ट्रिक्ट जज एस एच शर्मा ने फैसला किया था कि मुल्क के ख़िलाफ़ मुख़्तलिफ़ दीगर जराइम ताज़ीरात हिंद , क़ानून धमाको माद्दा और क़ानून इंसिदाद गैरकानूनी सरगर्मियां के तहेत वज़ा किए जाएंगे ।

अदालत ने मलिक पर हिंदूस्तान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ने के जुर्म के सिलसिले में मुक़द्दमा चलाने एन आई ए की इस्तिदा ये कहते हुए मुस्तर्द की थी कि मुल्ज़िम की जानिब से धमाके के बाद पार्ल्यमेंट हमले केस के मुजरिम अफ़ज़ल गुरु की रिहाई के सिलसिले में महिज़ एक ई मेल भेज देने का ये मतलब नहीं होता कि मलिक के ख़िलाफ़ जुर्म का इर्तिकाब किया गया ।

अदालत ने मलिक के ख़िलाफ़ आई पी सी की दफ़ा 120-B (मुजरिमाना साज़िश) , 440 (मोतिया दीगर नुक़्सान का सबब बनने केलिए तय्यारी के साथ शरपसंदी का इर्तिकाब ), 436 ( आतिशज़नी यह धमाको माद्दा के ज़रीया शरपसंदी ) , 302 ( क़तल ) , 307 ( इक़दाम-ए-क़तल ) , 323 ( नुक़्सान पहूँचाना) और 325 (इन्फ़िरादी तौर पर गज़ंद पहूँचाना) के तहत क़ाबिल सज़ा-ए-जराइम केलिए इल्ज़ामात वज़ा करने का फैसला किया है ।

अदालत ने क़ानून धमाको माद्दा और क़ानून इंसिदाद गैरकानूनी सरगर्मियां की मुख़्तलिफ़ दफ़आत के तहत भी मलिक के ख़िलाफ़ बादियुन्नज़र में सबूत पाए जाने के बाद इल्ज़ामात वज़ा करने का फैसला किया था । 7 सितंबर 2011 को हाइकोर्ट के इस्तिक़बालीया में पेश आए हमले में 15 अफ़राद हलाक और 79 दीगर ज़ख़मी होगए थे ।