वस्त मुद्दती इंतेख़ाबात ( चुनाव) पर कांग्रेस और बी जे पी का मुतज़ाद रद्द-ए-अमल

ममता बनर्जी के इस तब्सिरा पर कि लोक सभा इंतेख़ाबात ( चुनाव) मुक़र्ररा ( निश्चित )वक़्त से एक साल क़ब्ल ( पहले) मुनाक़िद किए जाएं, सयासी जमातों ने मिले जले रद्द-ए‍अमल ( प्रतिक्रिया) का इज़हार किया। कांग्रेस ने कहा कि मौजूदा हुकूमत अपनी मीयाद (कार्य काल) पूरी करेगी जबकि बी जे पी का कहना है कि अगर ममता बनर्जी मुल्क को मौजूदा हुकूमत से जल्द नजात (छुटकारा) दिलाती हैं तो ये ज़्यादा बेहतर ( अच्छा) होगा।

बी जे पी तर्जुमान शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि ममता बनर्जी ने 2013 में लोक सभा इंतेख़ाबात ( चुनाव) का इशारा दिया। हम चाहते हैं कि मौजूदा हुकूमत 2012 में ही चली जाए क्योंकि इस का तवील अर्सा ( ज़्यादा वक़्त/ लंबा समय) तक बरक़रार रहना मुल्क के मुफ़ाद में नहीं है।

कांग्रेस तर्जुमान राशिद अलवी ने कहा कि उन्होंने अब तक तृणमूल कांग्रेस लीडर का ब्यान नहीं पढ़ा और इस पर तब्सिरा ( बात चीत) मुनासिब नहीं होगा, लेकिन एक बात ये वाज़िह (साफ‍ साफ/ सपष्ट) है कि यू पी ए II अपनी मीयाद पूरी करेगी। इंतेख़ाबात मुक़र्ररा वक़्त ( निश्चित समय) पर ही होंगे।

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि ममता बनर्जी ने पार्टी कारकुनों ( कार्यकर्ता) को किसी भी इंतेख़ाबात के लिए तैयार रहने के मक़सद से ऐसा कहा हो। शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि जिस क़दर जल्द मौजूदा हुकूमत का ज़वाल ( पतन/गिराव) होगा, उतना ही मुल्क के हक़ में बेहतर होगा क्योंकि इस वक़्त मुल़्क की मईशत (ज़िंदगी) बुरी हालत से गुज़र रही है, ख़ारिजा (विदेशी) पालिसी भी ठीक नहीं है, सनअती (औद्वौगिक) तरक़्क़ी ज़वालपज़ीर (पतनशिल/ गिरने वाली) है और ग़ैरमुल्की रास्त सरमाया कारी (एफ डी आई) भी बंद हो चुकी है।

उन्हों ने कहा कि मुल़्क कभी भी इस क़दर बदतरीन दौर से नहीं गुज़रा जैसा मनमोहन सिंह के मौजूदा दौर ( उपस्थित कार्य काल) में गुज़र रहा है। उन्हें तवक़्क़ो ( उम्मीद/ भरोसा) है कि यू पी ए की हलीफ़ जमातें मुल्क के मुफ़ाद को मल्हूज़ रखते हुए मौजूदा हुकूमत को ख़ैराबाद कर देंगी।

कल तृणमूल कांग्रेस सरबराह ( व्यवस्थापक) ममता बनर्जी ने दावा किया था कि इन के पास ऐसी इत्तिला ( खबर/ सूचना) है कि दिल्ली में एक सयासी पार्टी का इजलास मुनाक़िद हुआ जिस में लोक सभा इंतिख़ाबात 2013 में मुनाक़िद करने का फ़ैसला किया गया चुनांचे ( इसलिए) उन्होंने पार्टी कारकुनों को इस के लिए तैयार रहने का मश्वरा दिया था।

कांग्रेस के तर्जुमान राशिद अलवी ने कहा कि वस्त मुद्दती इंतेख़ाबात का सवाल ही पैदा नहीं होता। मनमोहन सिंह ज़ेर-ए-क़ियादत हुकूमत अपनी मुकम्मल मीयाद पूरी करेंगे। वो ये बात वसूक़ के साथ कह सकते हैं कि आइन्दा लोक सभा इंतेख़ाबात मुक़र्ररा ( निश्चित) वक़्त पर ही होंगे। अगर कोई सयासी ग्रुप अपने वर्कर्स से वस्त मुद्दती इंतेख़ाबात(समय से पहले होले वाले चुनाव/वक़्त से पहले चुनाव होना) की बात कर सकता है तो ये उसी पार्टी का अंदरूनी मुआमला होगा।

इसके बरअक्स (विपरीत) बी जे पी तर्जुमान शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि जिस क़दर जल्द मौजूदा हुकूमत का ख़ातमा होगा, उतना ही मुल्क के हक़ में बेहतर होगा, क्योंकि मौजूदा हुकूमत एक मिनट भी इक़्तेदार ( शासन/ सत्ता) पर रहने का अख़लाक़ी हक़ नहीं रखती। उन्हों ने कहा कि यू पी ए की हलीफ़ ( मित्र/ दोस्त) जमातों को चाहीए कि वो इस मुआमले/मामले में अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करते हुए मुल्क को मौजूदा हुकूमत से नजात ( छुटकारा) दिलाएं।