वाअदा तो सब प्लान का लेकिन बजट में रक़म एक फ़ीसद भी नहीं !

हैदराबाद 02 मार्च : इसे वक़्त जबके सारे मुल्क में अक़लियतों और खासतौर पर मुसलमानों की हालत-ए-ज़ार पर सभी गोशों से इज़हार-ए-हमदर्दी किया जा रहा है और उन की हालत में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर इक़दामात की सिफारिशें की जा रही हैं हुकूमत आंध्र प्रदेश और इस का महिकमा फाइनेंस अब भी अपनी ज़िम्मेदारी को समझने तयार नहीं है और एक लाख करोड़ से ज़ाइद के रियासती बजट में अक़लीयतों को एक फ़ीसद से ज़्यादा हिस्से देने को तयार नहीं है ।

रियासत में मुसलमानों की आबादी तक़रीबन 12 फ़ीसद है लेकिन बजट में उन्हें दूसरी अक़लीयतों को शामिल करते हुए भी एक फ़ीसद से ज़्यादा हिस्से देने ना हुकूमत तयार है और ना इस का महिकमा फाइनेंस रज़ामंद है । इसे वक़्त जबके रियासत में मुसलमानों की हक़ीक़ी माअनों में तरक़्क़ी और बेहतरी के लिए ढाई ता तीन हज़ार करोड़ रुपये के बजट का मुतालिबा किया जा रहा है महिकमा अकलेती बहबूद ने भी हौसलामंदी नहीं दिखाया और सिर्फ़ 1480 करोड़ रुपये अक़लीयतों के लिए बजट में मुख़तस करने की सिफ़ारिश की थी ।

ये सिफ़ारिश ही दरकार ज़रूरियात का निस्फ़ थी और अब महिकमा फाइनेंस की तरफ से इस में मज़ीद कमी ने रियासत के मुसलमानों में फिर मायूस करदिया है । महिकमा फाइनेंस की तारफ से अकलेती बहबूद के लिए 1000 करोड़ रुपये से ज़ाइद की रक़म फ़राहम करने से इनकार करदिया गया है । अब महिकमा अकलेती बहबूद हो कि महिकमा फाइनेंस होया फिर रियासत के कोई ज़िम्मेदार वज़ीर हूँ यह ख़ुद चीफ मिनिस्टर हूँ उन्हें जवाब देना चाहीए कि रियासत की आबादी में 12 फ़ीसद हिस्सा रखने वाली अक़लीयतों को रियासत के जुमला बजट का सिर्फ़ एक फ़ीसद हिस्सा फ़राहम करना कहाँ का इंसाफ़ है ।

एस सी एस टी तबक़ात के लिए सब प्लान मंज़ूर करवाने वाले चीफ मिनिस्टर ने अक़लीयतों के लिए भी सब प्लान से इत्तिफ़ाक़ किया था लेकिन एसा लगता है कि वो सिर्फ़ ज़बानी वाअदा था और सब प्लान तो दूर की बात है बजट में मुनासिब रक़म मंज़ूर करने भी हुकूमत तयार नहीं है । अभी जबके रियासती एसम्बली के बजट मीटिंग की शुरूआत में कुछ वक़्त है और यक़ीनी तौर पर वज़ीर फाइनेंस उनम राम नारायना रेड्डी ने बजट तजावीज़ को क़तईयत नहीं दी है रियासती वज़ीर अकलेती बहबूद और ख़ुद चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी को मुदाख़िलत करते हुए अक़लीयतों के लिए बजट में फ़राहम की जाने वाली रक़म में इज़ाफे को यक़ीनी बनाना चाहीए ।

हुकूमत को अक़लीयतों की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए अपनी संजीदगी का सबूत पेश करने का ये आइन्दा आम चुनाव से पहले आख़िरी मौक़ा है और इस से इस्तेफ़ादा करना ख़ुद हुकूमत के लिए भी बेहतर साबित होसकता है और अक़लीयतों में कुछ हद तक एतेमाद बहाल करने में इस से मदद मिल सकती है ।

अकलेती बहबूद के शोबे के लिए बजट तजावीज़ पर कुछ गोशों की तरफ से हालाँके ख़ैर मुक़द्दम किया जा रहा है ताहम बाअज़ गोशे इस में मज़ीद इज़ाफ़ा पर ज़ोर दे रहे हैं। अकलेती सदर तेलुगु देशम-ओ-साबिक़ रुकन राज्य सभा एस एम लाल जान पाशाह ने वज़ारत फाइनेंस के फैसले को बदनीती से ताबीर करते हुए कहा कि वज़ारत अकलेती बहबूद के मुतालिबात ही कम थे और इस में तख़फ़ीफ़ से ये साबित करदिया गया है कि हुकूमत अक़लीयतों की फ़लाह-ओ-बहबूद में संजीदा नहीं है ।

उन्हों ने बताया कि मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस पी चिदम़्बरम ने मुल्क भर के अक़लीयतों के लिए 3511 करोड़ रुपये मुख़तस करके उनम राम नारायना को हौसला दिया है कि अक़लीयतों के लिए कम से कम बजट मुख़तस करे । उन्हों ने इल्ज़ाम आइद किया कि हुकूमत की नियत बजट की इजराई से ज़्यादा नंबर ज़्यादा दिखाना है और नंबर के ज़रीये अक़लीयतों को ख़ुश करने की कोशिश की जा रही है । उन्हों ने कहा कि साल 2012 के बजट में मुख़तस करदा 489 करोड़ में अब तक भी 122 करोड़ की इजराई बाक़ी है जबके मार्च का आग़ाज़ होचुका है ।

अब अगर हुकूमत रक़म जारी करती है तो महिकमा कब इस रक़म को ख़र्च करेगा ? और कब हुकूमत उसे बजट 2013 के अख़राजात में शामिल करेगी । उन्हों ने बताया कि तेलुगू देशम हुकूमत में जुमला बजट 17 हज़ार करोड़ का था जो 26 हज़ार करोड़ तक पहूँचा था लेकिन अब रियासत का बजट देढ़ लाख करोड़ है इस पर ग़ौर करके अकलेती बजट में इज़ाफ़ा किया जाना चाहीए । मुल्क मोतसिम ख़ान सदर वेलफ़ेर पार्टी ने बजट की तख़सीस के अमल में ही तख़फ़ीफ़ को अफ़सोसनाक क़रार दिया और कहा कि हुकूमत की नियत मुश्तबा है चूँके हुकूमतें बिलख़सूस वज़ारत फाइनेंस की तरफ से मुतालिबात ज़र में तख़फ़ीफ़ से महसूस होता है कि हुकूमत अक़लीयतों की हालत जानते हुए भी उन की तरक़्क़ी में दिलचस्पी का मुज़ाहरा नहीं कर रही है ।

उन्हों ने बताया कि वज़ारत फाइनेंस की तरफ से बजट की इजराई में ताख़ीर के ज़रीये महिकमा अकलेती बहबूद के लिए मुख़तस बजट का 1/4 हिस्सा रोक लिया जाना मामूल की कार्रवाई है लेकिन अब मुतालिबात में तख़फ़ीफ़ से हुकूमत अपनी अदम दिलचस्पी का मुज़ाहरा कर रही है ।

उन्हों ने गैर मसतामला बजट को महिकमा फाइनेंस को वापिस करने के बजाय आइन्दा बजट में शामिल करने के इक़दामात पर ज़ोर दिया । मोतसिम ख़ान ने कहा कि मुसलमानों की तवज्जा अकलेती बजट की हद तक ही महिदूद होती है जबके रियासत में 12 उसे मह्कमाजात हैं जिन से मुसलमानों को इस्तिफ़ादा की गुंजाइश है लेकिन उस की तशहीर नहीं होती जिस से मुसलमान सिर्फ़ महिकमा अकलेती बहबूद के बजट पर इतेफ़ा करते नहीं ।

उन्हों ने अक़लीयतों के लिए दीगर पसमांदा तबक़ात के तर्ज़ पर सब प्लान का मुतालिबा करते हुए कहा कि हुकूमत इस मुआमले में संजीदगी का मुज़ाहरा करे । जनाब मुहम्मद अबदुलग़फ़ूर साबिक़ रुकन एसम्बली सी पी एम ने अकलेती बजट को साज़िश क़रार देते हुए कहा कि हुकूमत को बजट की तख़सीस और इजराई दोनों में तकलीफ़ है ।

उन्हों ने बताया कि मार्च के अवाख़िर में बजट की इजराई के अहकाम जारी होते हैं और अदम इस्तेमाल के नाम पर रक़ूमात वापिस लेने के अहकामात भी जारी करदिए जाते हैं जिस का अवाम को इलम ही नहीं होता । मुहम्मद अबदुलग़फ़ूर ने बताया कि साल पिछ्ले हुकूमत ने बजट की तख़सीस का एलान किया लेकिन इस में अब तक की इजराई का जायज़ा लिया जाये तो सिफ़र के बराबर है । चूँके ज़ाइद अज़ 60 फ़ीसद बजट फीस की बाज़ अदाएगी-ओ-स्कालरशिपस अकलेती मालीयाती कारपोरेशन के लिए है लेकिन अब तक एक तालिब-ए-इल्म की फीस जारी नहीं हुई ।

साबिक़ रुकन एसम्बली ने अकलेती मालीयाती कारपोरेशन को ख़ाली डिब्बा क़रार देते हुए कहा कि कारपोरेशन मफ़लूज होचुका है । छोटे कारोबार के लिए क़र्ज़ जारी नहीं किए जा रहे हैं । जबके एलानात बड़े किए जाते हैं । जनाब अबदुलग़फ़ूर ने राज शेखर रेड्डी हुकूमत में मर्कज़ी अकलेती क़र्ज़ा जात के हुसूल के लिए इख़तियार करदा हुकूमत की पॉलीसी में तरमीम का मुतालिबा किया । मस्तान वली सदर नशीन मुक़न्निना कमेटी बराए अकलेती बहबूद ने बताया कि हुकूमत की बजट की तख़सीस का अमल जारी है और तमाम उमूर का जायज़ा लेने के बाद ये कहा जा सकता है कि हुकूमत अक़लीयतों के लिए तकरीबन 1500 करोड़ रुपये की तख़सीस का इरादा रखती है ।

उन्हों ने बताया कि मुतालिबात ज़र में तख़फ़ीफ़ और इज़ाफ़ा नई बात नहीं है बजट में अक़लीयतों के लिए मुख़तस की जाने वाली रक़म सब को चौंके देने वाली होगी । मस्तान वली ने बताया कि रियासत की तारीख में अब तक जो बजट हासिल नहीं हुआ होगा वैसा बजट अक़लीयतों के लिए पेश किया जाएगा ।

उन्हों ने कहा कि यक़ीनन जो मुतालिबात ज़र पेश किए गए हैं उन्हें क़बूल किया जाना चाहीए । लेकिन हुकूमत का इरादा इस से बेहतर है । उन्हों ने बताया कि अकलेती बजट का जायज़ा लेने स्टैंडिंग कमेटी के इजलास का मंसूबा है । इस में भी इज़ाफॆ पर ग़ौर किया जा सकता है । हुकूमत ने तख़सीस से ज़्यादा अख़राजात की सूरत में मज़ीद अक़ोमात की फ़राहमी का भी वाअदा किया है ।