“यकीन नहीं कीजिएगा। इम्तियाज का ऐसा पहनावा और ऐसी कैफियत थी, मामूली शर्ट, सीधा पैंट, न ज़्यादा दोस्ती, न मटरगश्ती और ना ही किसी से खुला बैर। अब देखिए, पाँच हजार खर्च कर बच्चों को पढ़ा रहा हूं। जाहिर है सर्टिफिकेट में गाँव का नाम सिठीयो ही दर्ज रहेगा। ” बच्चे बाहर पढ़ने जायेंगे, तो पूछे जा सकते हैं, आप सीठियो गाँव से आते हैं। भला बतायें, तब क्या तस्वीर बनेगी?”
हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के मुक़ामी प्लांट के आम मुलाज़िम हसीब अंसारी एक साँस में यह सब बोल जाते हैं।
उनकी फिक्र है कि गाँव की तस्वीर ख़राब हुई है। गाँव के छोटे बच्चे भी पूछते हैं कि पुलिस की गाड़ियां रात में क्यों आती-जाती हैं?
पटना के गाँधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली से पहले हुए धमाके का मुश्तबा अफराद इम्तियाज इसी गाँव का रहने वाला है। झारखंड की दारुल हुकूमत रांची के नजदीक का यह गाँव अचानक सुर्ख़ियों में आ गया है।
तंग गलियों में सबसे बड़ा मकान
“हाल के दिनों में कुछ कम उम्र के लड़कों के साथ इम्तियाज का मिलना-जुलना होता था, लेकिन वे किसी तरह का खदसा होने नहीं देते थे। “धुर्वा थाना इलाक़े के सीठियो गाँव की आबादी करीब दस हज़ार है। गाँव में कई टोले हैं। आदिवासी, आकलियतों की आबादी ज़्यादा है। अक़लियत तबके के करीब 250 खानदान इस गाँव में रहते हैं। नौकरी, मजदूरी और छोटा- मोटा रोजगार अहम पेशा है।
तंग गलियां, सटे खपरैल मकानों के बीच इम्तियाज का दो मंजिला मकान है। गाँव वालों का कहना है कि उनका घर गाँव में सबसे बड़ा है। इस वाकिया से पूरा गांव सकते में है। सच पूछिये तो सारे लोग शर्मशार हुए हैं। इम्तियाज तो लोगों के बीच कम ही रहते थे। ” अली हसन, गाँव के सदर
कैसी किताबें पढ़ते थे, सवाल पर वे कहते हैं : ज़्यादातर मजहबी किताबें ही पढ़ते थे। वे इस बारे में ज़्यादा पड़ताल नहीं करते थे। बकौल कलीमुद्दीन उनका खानदान अहलेहदिश को मानते हैं। वो बताते हैं कि इम्तियाज अक्सर इनके बारे में ही किताबें पढ़ा करते थे। वे इसे सिरे से ख़ारिज करते हैं कि बाहर से अनजान लोग इम्तियाज के साथ घर पर आते- जाते थे।
गाँव के लोग बताते हैं कि अहले हदिश को मानने वाले मुस्लिम गाँव की मेन मस्जिद में नमाज नहीं अदा करते हैं। इम्तियाज कम उम्र के लड़कों को अहले हदिश से तेज़ी से जोड़ रहे थे। पटना बम धमाके में दो कम उम्र के लड़के अभी फरार चल रहे हैं। वे भी इसी गाँव के रहने वाले थे।
इम्तियाज़ के वालिद कलीमुद्दीन अंसारी कहते हैं कि अगर इम्तियाज मुजरिम हैं, तो सज़ा मिलनी चाहिए। पुलिस ने घर से जो भी चीज़ें बरामद की है, उसे बढ़ा चढ़ाकर मीडिया के सामने रखा जा रहा है। कलीमुद्दीन अंसारी के मुताबिक़ जुमा को वे अपनी माँ से कहकर बाहर निकले थे। उन्होंने बताया था कि वे कोलकाता जा रहे हैं। उन्होंने वालिदा से कहा था कि मजहबी प्रोग्राम में शामिल होने जा रहे हैं। बाद में पता चला कि उनके साथ गाँव के तीन लड़के भी गए हैं। कलीमुद्दीन के मुताबिक़ वाकिया के बाद से उनकी इम्तियाज से बातें नहीं हुई हैं।