वाघा सरहद पर बी एस एफ़ सिपाहीयों को राहत दिलाने की तजवीज़

वाघा सरहद पर तारीख़ी तक़रीब मुराजत में हिस्सा लेने वाले बी एस एफ के सिपाही अब इस रिवायती तक़रीब में अमलन बेहतर अंदाज़ में अपने क़दम बढ़ा सकते हैं। ये सरहदी गार्ड्स जिनमें मर्द-ओ-ख़वातीन दोनों ही शामिल हैं, अब उन्हें ना सिर्फ नरम और आरामदेह बूट मिलेंगे जिससे उन की परेड के दौरान होने वाली तक़लीफ़ में कमी होगी बल्कि वो अपने बूट्स में रबर के कुशन से आराम महसूस कर सकेंगे। बॉर्डर सीक्योरीटी फ़ोर्स (बी ऐस एफ़) हेडक़्वार्टर्स में ये इक़दामात करने फ़ैसला किया।

क्योंकि इस को अपनी सिपाहीयों की सेहत पर तशवीश लाहक़ थी। ये सिपाही हिंदूस्तान और पाकिस्तान के दरमयान रास्ता ज़मीनी सरहदी रास्ती उबूर करने के मुक़ाम पर मुनाक़िद होने वाली मुनफ़रद तक़रीब में हिस्सा लेते हैं, जिन्हें बी एस एफ़ के दो लाख सिपाहीयों में से मुंतख़ब किया जाता है। बी एस एफ़ के सरबराह यू के बंसल ने पी टी आई से कहा कि मुझे मेरे आदमीयों की सेहत के बारे में मुझे ज़्यादा फ़िक्र है क्योंकि वो सख़्त मेहनत और कुशानी के साथ इस किस्म की मश्क़ें करते हैं जिससे पाओं ( पैर) पर ज़्यादा बार पड़ता है अक्सर उनके घुटने और कुहनियां ज़ख्मी होते हैं।

चुनांचे मैंने वाघा सरहद पर तैनात सिपाहीयों को ऐसे बूट्स फ़राहम करने की तजवीज़ पेश की जिनके कुशन रबर से बनाए जाते हैं ताकि वो ज़ख्मी भी हो तो ज़ख्मों की नौईयत ज़्यादा तशवीशनाक ना हो। इलावा अज़ीं हम अपने सिपाहीयों के जूतों के डिज़ाइन में तरमीम पर भी ग़ौर कर रहे हैं ताकि जूते पहनने से उन के पाओं ( पैर) ज़ख्मी ना हों ।