वाघेला ने किया अप्ना बर्थडे उत्तराखंड के मुतास्सीरीन के नाम‌

अहमदाबाद।[ सियासत न्युज ब्युरो / फखरुद्दिन] गुजरात के बहुत पुराने और फेमस‌ नेता शंकर सिंह वाघेला ने पब्लिक‌ के नाम एक खत‌ लिखकर उत्तराखंड मे आए सैलाब पर तक्लिफ और गम का एह्सास‌ जताते हुए 21 जुलाई को खुद का जन्म दिन नहीं मनाने की बात कही है. वाघेला के इस खत‌ के सियासी गलियारों में कुछ अलग मायने निकाले जा रहे हैं,

गुजशता साल‌ भी जन्म दिन के बहाने वाघेला ने आलाकमान पर दबाव बनाकर आईटीडीसी कि सदर शिप पर कबजा कर लिया था.

वाघेला का जन्म 21 जुलाई 1940 को गांधीनगर के वासन गांव में हुआ था. वो गांधीनगर में अपने मकान‌ वसंत वगदा में अप्ना जन्म दिन मनाते आये हैं। इस बार उत्तराखंड सैलाब और तबाहि का हवाला देते हुए वाघेला ने कहा है की गुजरात की पब्लीक‌ मेरी हाइकमांड है और पब्लीक पर अभि गम के बादल छाये हुए हे इसलिय इन्सानियत‌ उन्हें किसी भि किसम का कोई दीन‌ मनाने की इजाजत नहीं देती है.

वाघेला ने कहा है की वो 1964 से सियासत‌ में हें और कारकुनान और पब्लीक‌ ने उन्हें इस काँटों से भरे मार्ग पर हमेशा साथ दिया है। उत्तराखंड में कई भारतीयों की जान गई है तथा गुजरात के 125 लोग अभी लापता है।

गुजरात कोंग्रेस में सदर ओहदे को लेकर जोरदार खींचतान मची है ऐसे में माना जा रहा है की वाघेला जनता को अपना आलाकमान बताते हुए कोंग्रेस हाईकमान‌ को वार्नीङ‌ देने के मूड में हैं।

गुजशता साल‌ भी जन्म दिन के बहाने वाघेला ने आलाकमान पर दबाव बनाकर आईटीडीसी कि सदर शिप पर कब्जा कर‌ लिया था। फिर विधान सभा ईलेक्शन‌ के बाद अपोजिशन लिडर‌ का ओह्दा भी उन्हीं को मिला जिसके बाद एमपी विट्ठल राददिया ने तो कोंग्रेस को अलविदा कहकर‌ बीजेपी में शामिल हो गए थे।

गुजरात में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद वाघेला पारखी नेता माने जास्ते हें लेकिन कोंग्रेस भी अब झुकने के मूड में नहीं है। इसलिए सदर ओहदे पर प्रदेश सदर‌ अर्जुन मोधवाडिया को या उनके खेमे के किसी शख्स‌ को बिठाने का ईम्कान‌ है।