अहमदाबाद । विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री मोदी के हाथों करारी हार के बाद से गुजरात कांग्रेस में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। पार्टी को फिर से मजबूती देने के लिए कमान नए प्रभारी गुरुदास कामत को सौंपी गई लेकिन कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान के चलते कामत के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। नेता विपक्ष वाघेला का प्रदेश कांग्रेस में हस्तक्षेप बढता जा रहा है जिससे सत्तापक्ष तो चैन की सांस ले रहा है लेकिन कांग्रेस में घमासान मचा है।
गुजरात में पिछले दो दशक से सत्ता से विमुख कांग्रेस तीन विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी प्रभारी बदल कर देख चुकी है लेकिन मनचाहे नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं। युवाओं को संगठित करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद मैदान में उतरे लेकिन चुनावों में युवाओं को टिकट नहीं मिलने से नाराज कई युवा नेता भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा के सभी फैसले गांधीनगर से होते हैं लेकिन कांग्रेस में आलाकमान संस्कृति के चलते कोई भी नेता स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम नहीं है जिसका खामियाजा संगठन को भुगतना पड़ रहा है। टिकट नहीं मिलने के बाद दिग्गज नेता नरहरी अमीन तथा नेता विपक्ष का पद नहीं मिलने से नाराज सौराष्ट्र के दबंग नेता विट्ठल रादडिया अपने विधायक पुत्र जयेश के साथ भाजपा में शामिल हो चुके हैं जिसके चलते मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे दम के साथ खम ठोक रहे हैं।
जबकि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया व नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला के बीच चल रही खींचतान के चलते अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं। वाघेला किसी भी कीमत पर मोढवाडिया को अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते जबकि मोढवाडिया कांग्रेस में बढते वाघेला के हस्तक्षेप से नाखुश हैं। कांग्रेसी दिग्गजों की आपसी खींचतान से नए प्रभारी गुरुदास कामत अपनी दो यात्राओं में ही अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं इसी के चलते बुधवार को उनकी वडोदरा यात्रा रद्द कर दी गई।
कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने कामत की हाजिरी में कहा कि वाघेला को राज्य सरकार की कमियां व घोटाले उजागर करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके बजाए वे कांग्रेस के आईटी सेल व सोशियल मीडिया में प्रचार प्रसार में अधिक रुचि ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वाघेला मूल रूप से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक हैं तथा उनके कांग्रेस में आने के बाद से मूल कांग्रेसी नेता हाशिए पर चले गए हैं।
विधानसभा चुनाव में भी मूल कांग्रेसी नेता बडी संख्या में हार गए जबकि वाघेला व उनके साथी जैसे तैसे अपनी सीट बचा गए।
कांग्रेस का ही एक वर्ग यह भी मानता है कि गुजरात में मोदी व वाघेला मिलकर राज कर रहे हैं बाकी भाजपाई तथा कांग्रेसी नेताओं को हाशिए पर ला दिया है इसलिए कांग्रेस को बचाने के लिए मूल कांग्रेसी नेताओं को संगठन में बडे पदो पर लाया जाना चाहिए। इसके लिए नए अध्यक्ष के रूप में केद्रीय मंत्री तुषार चौधरी, विपक्ष के पूर्व नेता शक्तिसिंह गोहिल का नाम अध्यक्ष के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। तुषार प्रदेश की राजनीति में आने के इच्छुक नहीं हैं तथा वाघेला के नेता विपक्ष रहते जातीय समीकरण गोहिल के अध्यक्ष बनने में बडी बाधा है। पूर्व सांसद मधुसुदन मिस्त्री के यूपी में कांग्रेस का चुनाव प्रभारी बनने से उनका नाम स्वत: बाहर हो गया है।
बताया जाता है कि वाघेला खुद अब प्रदेश की राजनीति में अनफिट पाते हैं इसलिए कांग्रेस की योजना है कि गोहिल को अध्यक्ष बनाकर नेता विपक्ष के पद पर विधायक व कांग्रेस के कर्मठ नेता शैलेष परमार को बिठा दिया जाए ताकि लोकसभा चुनाव में परंपरागत क्षत्रिय वोट बैंक के साथ दलित वोट बैंक को भी साधा जा सके। इसके अलावा पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल को फिर से कमान सौंपने के अलावा कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं है।