वाराणसी, 27 अगस्त: उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा में उफान से कोहराम मच गया है। एतवार के दिन पानी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर (72.260 मीटर) पहुंच गया। शहर की साहिली बस्तियों के इमारतो की दूसरी मंजिल भी डूबने लगी है।
नगवां, लंका और सामनेघाट इलाके की 15 से ज़्यादा कॉलोनियां पानी में डूब गई हैं और हजारों लोग बाढ़ से घिर गए हैं। सामने घाट इलाके से साठ फीसदी से ज़्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।
अपार्टमेंट भी खाली करा लिए गए हैं। इलाके अस्सी में सड़क पर नाव चलने लगी है। मुतास्सिर मोहल्लों में बिजली-पानी की सप्लाई ठप है। दशाश्वमेध में मछली मंडी के आगे पानी बढ़ने से लोग 1978 की बाढ़ की याद कर सहम गए हैं।
जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने साहिली इलाकों का दौरा किया। शहर के जुनूबी इलाके में पानी से घिरे मोहल्लों में आम जिंदगी लड़खड़ा गयी है।
शाम तक नगवा-लंका से लगी कालोनियां बाढ़ से घिर गईं। रोजमर्रा की चीजों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो गया है।
मारुतिनगर, बालाजी नगर, बालाजी एक्सटेंशन, महेशनगर, पटेलनगर, काशीपुरम, छित्तूपुर, जानकी नगर पानी में डूब गई हैं।
10 हजार से ज़्यादा लोगो ने छतों पर पनाह ले ली है। हरिश्चंद्र घाट जाने वाली रोड पर गंगा के बहने से यहां भी 20 से ज़्यादा दुकानों में पानी भर गया है। मुसलसल बढ़ाव से चौतरफा हाहाकार मच गया है।
गंगा में एक सेंटीमीटर फी घंटे की रफ्तार से बढ़ाव हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक शाम छह बजे जल स्तर 72.260 मीटर पहुंच गया था। यह खतरे के निशान से तकरीबन एक मीटर ज़्यादा है।
अगर बढ़ाव जारी रहा तो इस बार 1978 का रिकार्ड भी टूट सकता है। कमीशन के मुताबिक फाफामऊ और इलाहाबाद में दो-दो सेंटीमीटर फी घंटे की रफ्तार से गंगा में बढ़ाव जारी है।