विकलांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव करने पर दो साल की जेल की सजा और 5 लाख रुपये का अधिकतम जुर्माना निरधारित करने वाला एक बिल बुधवार को राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया है।
विकलांग व्यक्ति अधिकार बिल, 2014, जिसका मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्ति के हितों और हक़ की सुरक्षा करना है वह आज बुधवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से पास कर दिया गया।
इस बिल को पास करते समय राज्य सभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक दुर्लभ सहमति नज़र आई, जोकि संसद के शीत सत्र में अभी तक नदारद थी। 16 नवम्बर को सत्र की शुरुवात से ही सदन की कार्यवाई लगातर ठप होती रही है।
बिल, जिसे सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत इस महीने की शुरुवात में उच्च सदन में लाये थे, विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और संबंधित मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन को भी प्रभाव देता है।
इस बिल में विकलांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव करने पर छ महीने से दो साल तक की कैद और 10 हजार रूपये से 5 लाख रूपये तक का जुर्माने का प्रावधान है। उम्मीद की जा रही है कि यह विधेयक विकलांग व्यक्तियों द्वारा उठायी जाने वाली परेशानियों का सामना करने में मदद करेगा।
जबकि 1995 वाले पुराने बिल में केवल 7 तरह की विकलांगता को मान्यता प्राप्त थी, नए बिल में 21 तरह की विकलांगताओं को शामिल किया गया है। बिल सुविधाओं को विकलांगों के उपयोग के लायक बना कर भारत को एक विकलांग मित्र देश के रूप में पहचान दिलाने के ऊपर भी ज़ोर देता है।